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बीमारी, अंधविश्वास या कुछ और... जब नाचते-नाचते मर गए 400 लोग

505 साल पहले फ्रांस में एक अजीब बीमारी के चलते 400 लोगों की मौत हो गई. इस बीमारी में लोगों ने अचानक से नाचना शुरू कर दिया था. वो तब तक नाचते थे जब तक कि उनका शरीर काम करना न बंद कर दे या उनकी मौत न हो जाए. क्या थी ये बीमारी और क्या थी इसके पीछे की वजह चलिए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से...

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दो महीनों तक लोग हुए इस अजीब बीमारी का शिकार (फोटो: Wikipedia)
दो महीनों तक लोग हुए इस अजीब बीमारी का शिकार (फोटो: Wikipedia)

आज से 505 साल पहले यानि 1518 में फ्रांस (France) के स्टार्सबर्ग (Strasbourg) शहर में एक ऐसी विचित्र घटना घटी जिसने लोगों के होश ही उड़ा दिए थे. एक अंजान बीमारी के कारण शहर के कुछ लोगों न अपने घरों से बाहर निकलकर अचानक नाचना शुरू कर दिया. वे तब तक नाचते रहे, जब तक कि उनके शरीर ने काम करना बंद नहीं कर दिया. या फिर जब तक उनकी मौत नहीं हो गई.

इस तरह लोगों के मरने का सिलसिला कई दिन तक चलता रहा. लेकिन बावजूद इसके इस बीमारी के फैलने का कारण आज तक पता नहीं लग सका है. लेकिन जब भी इस बीमारी का जिक्र होता है तो इसे फ्रांस में हुई एक घटना से जोड़कर देखा जाता है. तो क्या थी वो घटना चलिए जानते हैं विस्तार से...

तारीख 14 जुलाई 1518... जब फ्रांस के स्टार्सबर्ग में रहने वाली फ्राउ ट्रॉफिया (Frau Troffea) नामक एक महिला अचानक अपने घर से बाहर निकलकर नाचने लगी. हैरानी की बात ये थी कि जब ये महिला नाच रही थी तो न तो वहां कोई गाना बज रहा था और न ही कोई गाना गा रहा था. महिला बस अपनी ही धुन में नाचे जा रही थी.

एक और बात इसमें काफी विचित्र ये थी कि नाचते समय फ्राउ के चेहरे पर कोई भाव नहीं था. न वो हंस रही थी और न ही रो रही थी. वो बस बेसुध होकर नाच रही थी. तब फ्राउ की इस हरकत को देखकर कई लोग घरों से बाहर निकल आए. वे हैरान होकर उसका डांस देख रहे थे. उन्हें लगा कि फ्राउ शायद नशे में है, इसलिए नाच रही है. तो वहीं, कुछ लोग उसे पागल समझ रहे थे.

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हालांकि, किसी के लिए भी उसके नाचने का कारण समझ पाना मुश्किल था. फ्राउ के पति ने उसे रोकने की कोशिश भी की. लेकिन फ्राउ ने उसकी एक न सुनी और बस नाचती ही रही. फ्राउ सुबह से नाच रही थी. नाचते-नाचते शाम हो गई लेकिन उसना नाचना बंद नहीं हुआ. उसके शरीर के काफी अंग फूल गए थे. लेकिन बावजूद इसके वो नाच रही थी. तभी अचानक वो बेहोश होकर नीचे गिर गई. पति उसे उठाकर घर ले गया.

लेकिन ये क्या... अगले दिन सुबह उठते ही उसने फिर से नाचना शुरू कर दिया. ना कुछ खाया और ना ही पिया. बस नाचती ही गई. इस तरह नाचते-नाचते उसे दो-तीन दिन बीत गए. अब उसके पति को उसकी चिंता होने लगी. तो उसे इलाज के लिए वह डॉक्टर के पास ले जाया गया. उधर फ्राउ की ही तरह 34 लोग भी इसी तरह अचानक से नाचने लगे थे. जब इस बात का पता शहर में चला तो इस बीमारी को 'डांसिंग प्लेग' का नाम दिया गया.

कई लोगों की हुई इस बीमारी से मौत
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त महीने तक नाचने वालों की संख्या 100 के पार पहुंच गई. कहा जाता है कि यह एक तरह का इंफेक्शन था जिस कारण लोग बेवजह नाच रहे थे. इस केस में लोग डांस करना शुरू कर देते थे और वे रुकते ही नहीं थे. जब तक कि उनका शरीर काम करना न बंद कर दे या उनकी मौत न हो जाए. इस तरह की घटना लगातार बढ़ती जा रही थीं. नाचने वाले लोगों की संख्या बढ़ती ही गई. कई लोग इस कारण गंभीर रूप से बीमार हो गए तो कई लोगों की इससे मौत हो गई.

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जब इस घटना के कारण 15 लोगों की मौत हो गई तो प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेना शुरू किया. पहले तो डॉक्टरों को लगा कि ये किसी तरह की नेचुरल बीमारी है. शरीर में ब्लड टेंपरेचर बढ़ने से यह हो रही है. डॉक्टरों ने तो अपनी थियोरी दे दी थी. लेकिन नाचने वालों की संख्या इतनी बढ़ती जा रही थी कि एक-एक इंसान को ठीक कर पाना काफी मुश्किल हो गया था.

नहीं खत्म हुआ मौत का सिलसिला
ऐसे में डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि लोगों को ऐसे ही नाचने दिया जाए. जब उनका बॉडी टेंपरेचर कम हो जाएगा तो वे नाचना बंद कर देंगे. इस तरह के मरीजों के लिए एक अलग तरह की व्यवस्था भी की गई. एक खाली जगह को डांस फ्लोर में तब्दील कर दिया गया. कुछ डांसर्स को वहां रखा गया जो इनके साथ डांस करें. लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ. क्योंकि मरने वालों की संख्या और ज्यादा बढ़ने लगी.

New York Post के मुताबिक, फिर कुछ लोगों ने इस घटना को अंधविश्वास से भी जोड़ना शुरू कर दिया. उनका मानना था कि यह सेंट वाइटस (St. Vitus) के श्राप के कारण हो रहा है. दरअसल, कई सदियों पहले सेंट वाइटस नामक एक संत थे, जिन्हें फ्रांस के लोग काफी मानते थे. मान्यता थी कि सेंट वाइटस नाच गाकर लोगों के अंदर की बीमारियों को ठीक करते थे.

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लोगों ने फिर इस बीमारी से ठीक होने का नया तरीका खोज निकाला. वे डांस करने वाले लोगों को सेंट वाइटस के प्रार्थना रूम में ले जाने लगे. उनके हाथों में क्रॉस देकर डांस करवाया जाने लगा. साथ ही उनके ऊपर हॉली वॉटर भी छिड़का जाने लगा. चाहे इसे अंधविश्वास कहें या कुछ, लेकिन उससे कई लोगों को फर्क भी पड़ा. कई लोग इससे ठीक होने लगे. हालांकि, कई लोगों की इस प्रक्रिया के बिना भी हालत में सुधार आया.

वैज्ञानिकों कि थियोरी आई सामने
खैर जो भी हो, ये बीमारी दो महीनों तक चली और 400 लोगों को इसमें अपनी जान गंवानी पड़ी. लेकिन तब से लेकर आज तक कई वैज्ञानिकों ने इस पर अपनी थियोरी दी हैं. वैज्ञानिकों का मानना था कि लोगों के अंदर ये बीमारी Ergot Fungi Toxic और Carcinogenic Reaction के कारण हुई थी. यानि ये बीमारी फूड पॉइजनिंग के कारण हुई. दरअसल, Ergot Fungi गेहूं और मक्की जैसे अनाज की फसलों में होता है.

जॉन वॉलर की थियोरी
इस तरह के फंगस दीमाग में जाकर ड्रग्स की तरह असर करते हैं. जिससे लोगों के अंदर हेलूसिनेशन जैसी स्थिति बन जाती है. वो खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाते. ऐसे में मरीज की बॉडी भी रिएक्ट करती है. हालांकि, इस थियोरी को फेमस लेखक जॉन वॉलर (John Waller) ने पूरी तरह गलत बताया. उनका कहना था कि जिस इलाके में यह सब शुरू हुआ था वहां के लोग बहुत ज्यादा अंधविश्वासी थे.

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काफी समय से वहां के लोग भुखमरी और सूखे से जूझ रहे थे. जिस कारण उन्हें एक मानसिक विकार ने घेर लिया था. इस कारण वे लोग इस तरह की हरकतें कर रहे थे, जिसका खुद भी उन्हें अंदाजा नहीं था कि वे क्या कर रहे हैं. बता दें, जॉन ने इस पर एक किताब भी लिखी है जिसका नाम है 'A Time To Dance A Time Time To Die'. उन्होंने इस पर एक और किताब भी लिखी है 'The Dancing Plague: The Strange, True Story of an Extraordinary Illness'. 

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