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देवशयनी एकादशी पर मिलेगा श्रीहरि का वरदान

आज देवशयनी एकादशी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार आज से ठीक चार महीने के लिए श्रीहिर विष्णु पाताल लोक में सोने चले जाते हैं. फिर चार महीने बाद यानि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को उठते हैं. श्रीहरि....इसलिए चार महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जा सकते.

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भगवान विष्णु
भगवान विष्णु

आज यानी मंगलवार को देवशयनी एकादशी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार आज से ठीक चार महीने के लिए श्रीहिर विष्णु पाताल लोक में सोने चले जाते हैं. फिर चार महीने बाद यानि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को उठते हैं. श्रीहरि....इसलिए चार महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जा सकते.

देवशयनी एकादशी का महत्व

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को 'देवशयनी एकादशी' कहते हैं. इस एकादशी से अगले चार माह तक श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं. इसलिए अगले चार माह तक कोई भी शुभ करने की मनाही होती है. देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास की शुरुआत भी हो जाती है. इस एकादशी से तपस्वियों का भ्रमण भी बंद हो जाता है, इन दिनों केवल ब्रज की यात्रा की जा सकती है.

चार महीने बाद मिलेगी श्रीहरि की कृपा

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आज से ठीक चार महीने तक नहीं मिलेगी श्रीहरि की कृपा और उनकी कृपा के बिना कोई भी शुभ कर्म सफल नहीं हो सकता है. इसलिए जब तक श्रीहरि योग निद्रा में हैं तब तक कोई भी शुभ काम करने से बचना चाहिए. लेकिन देवशयनी एकादशी योग निंद्रा में श्रीहरि से मनचाहा वरदान मांगा जा सकता है.

क्या है श्रीहरि विष्णु की योग निद्रा का रहस्य

पुराणों के अनुसार एक बार राजा बलि को अपनी शक्ति और धन का घमंड हो गया था. तभी श्रीहरि विष्णु ने बलि का घमंड तोड़ने के लिए वामन रूप लिया. श्री हरि ने वामन रूप में बलि से तीन पग दान के रुप में मांगे. पहले ही पग श्रीहरि ने सभी दिशाओं सहित संपूर्ण पृथ्वी और आकाश को नाप लिया. दूसरे पग में प्रभु ने स्वर्ग को नाप लिया.

श्रीहरि ने तीन पग में नापा सारा संसार

अब तीसरा पग रखने के लिए कुछ भी बाकी न बचा तो बलि ने अपना सिर आगे करते हुए निवेदन किया कि प्रभु अपना तीसरा पग मेरे शीष पर रखिए. बलि के इस समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने बलि को पाताल का राजा बना दिया और वरदान मांगने को कहा. बलि ने कहा प्रभु आप सदैव मेरे महल में रहें. अब भगवान विष्णु बलि के बंधन में बंध चुके थे. ऐसे में माता लक्ष्मी ने बलि को अनपा भाई बनाकर उससे भगवान को वचनमुक्त करने का अनुरोध किया। उसी दिन से 4 महीने के लिए श्रीहरि विष्णु पाताल में निवास करते हैं. इसके बाद महाशिवरात्रि तक भगवान शिव और शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक ब्रह्मा जी बलि के पाताल लोक में निवास करते हैं.

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क्या सचमुच देवशयनी एकादशी को सो जाते हैं श्रीहरि?

देवशयनी एकादशी को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम और आशंकाएं भी हैं. इसलिए आज हम आपको श्रीहरि की योग निद्रा का सच बताने वाले हैं. क्या सचमुच देवशयनी एकादशी को सो जाते हैं श्रीहरि.हरि और देव का अर्थ तेज तत्व से भी है. इस समय में सूर्य, चन्द्रमा और प्रकृति का तेज़ कम होता जाता है, इसीलिए कहा जाता है कि देव शयन हो गया है. तेज तत्व या शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर किये गए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते और शुभ कार्यों में बाधा आने की आशंका बनी रहती है.इसलिए देवशयनी एकादशी से अगले चार माह तक शुभ कार्य करने की मनाही होती है. देवशयनी एकादशी पर भले ही श्रीहरि योग निद्रा में चले जाते हैं लेकिन इस दिन उनकी कृपा से आपको कई वरदान भी मिल सकते हैं.

देवशयनी एकादशी पर मिलेगा वरदान

देवशयनी एकादशी पर सामूहिक पापों और समस्याओं का से मुक्ति मिल सकती है. दुर्घटनाओं के योग टल जाते हैं और व्यक्ति का मन शुद्ध होता है. इस एकादशी के बाद से शरीर और मन में नएपन का आभास होता है. कितना दिव्य दिन है आज....इस दिन श्रीहरि की विशेष पूजा –उपासना से आपकी हर कामना पूरी हो सकती है.

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