Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य द्वारा निर्मित नीतियों का अनुसरण करने से मनुष्य के बड़े बड़े काम भी बन जाते हैं. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ यानी चाणक्य नीति के 17वें श्लोक में मनुष्य को तीन प्रकार के कर्मों को करने से बचने के लिए कहा है. चाणक्य के मुताबिक इन कर्मों को करने वाला मनुष्य नष्ट होने के कागार पर चला जाता है.
नापितस्य गृहे क्षौरं पाषाणे गन्धलेपनम्।
आत्मरूपं जले पश्येत् शक्रस्यापि श्रियं हरेत्।।
आचार्य चाणक्य अपनी चाणक्य नीति के 17वें अध्याय में इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि मनुष्य को किन तीन कामों को नहीं करना चाहिए. वो कहते हैं कि व्यक्ति को नाई के घर जाकर हजामत नहीं बनवानी चाहिए यानी बाल नहीं कटवाने चाहिए.
इसके अलावा वो इस श्लोक में कहते हैं कि मनुष्य को पत्थर पर चंदन नहीं घिसना चाहिए और पानी में अपनी परछाई भी नहीं देखनी चाहिए. वो कहते हैं कि जल में अपना रूप देखने से स्पष्ट चेहरा नहीं दिखता और मन में कई प्रकार के सवाल उठते हैं. चाणक्य ने ऐसे लोगों को ज्ञानवान होते हुए भी बुद्धिहीन कहा है. उनके अनुसार, ऐसे व्यक्ति खुद ही अपना मान-सम्मान नष्ट कर डालते हैं. इन तीन कामों से व्यक्ति का वैभव नष्ट होता है. वो कहते हैं कि ऐसा करने से इंद्र जैसे वैभवशाली की भी शोभा नष्ट हो जाती है.
यदि रामा यदि च रमा अहितनयो विनयगुणोपेतः।
यदि तनये तनयोत्पतिः सुखमिन्द्रे किमाधिक्यम्।।
चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि जिस व्यक्ति की पत्नी सदाचारिणी हो, जिसके पास धन भी भरपूर हो, पुत्र गुणवान हों, प्रपौत्र भी हों तो उसके लिए धरती पर मिला जीवन ही स्वर्ग के समान है.