Vivah Panchami 2024 Date: विवाह पंचमी का त्योहार हर साल मार्गशीर्ष माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने इसी दिन शिव धनुष तोड़कर राजा जनक की पुत्री सीता को अपनी अर्धांगिनी बनाया था. इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा पाठ किए जाते हैं. इस साल विवाह पंचमी का महापर्व 6 दिसंबर को मनाया जाएगा. आइए आपको विवाह पंचमी की पौराणिक कथा के बताते हैं.
विवाह पंचमी की कथा
श्रीरामचरितमानस के अनुसार, त्रेता युग में महाराजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के लिए उपयुक्त वर की तलाश हेतु स्वयंवर रचाया था. सीता के स्वयंवर में आए सभी राजा-महाराजा जब भगवान शिव का धनुष नहीं उठा सकें, तब ऋषि विश्वामित्र ने प्रभु श्रीराम से आज्ञा देते हुए कहा- हे राम! उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ.
गुरु विश्वामित्र के वचन सुनकर श्रीराम तत्पर उठे और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आगे बढ़ें. यह दृश्य देखकर सीता के मन में उल्लास छा गया. प्रभु की ओर देखकर सीताजी ने मन ही मन निश्चय किया कि यह शरीर इन्हीं का होकर रहेगा या तो रहेगा ही नहीं.
माता सीता के मन की बात प्रभु श्रीराम जान गए और उन्होंने देखते ही देखते भगवान शिव का महान धनुष उठाया. इसके बाद उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही एक भयंकर ध्वनि के साथ धनुष टूट गया. यह देखकर सीता के मन को संतोष हुआ.
फिर सीता श्रीराम के निकट आईं. सखियों के बीच में जानकी आईं, तब एक सखी ने सीता से जयमाला पहनाने को कहा. उस समय उनके हाथ ऐसे सुशोभित हो रहे थे, मानो डंडियों सहित दो कमल चंद्रमा को देखते हुए जयमाला दे रहे हों. तब सीताजी ने श्रीराम के गले में जयमाला पहना दी. यह दृश्य देखकर देवता फूल बरसाने लगे. नगर और आकाश में बाजे बजने लगे.
श्रीराम-सीता की जोड़ी इस प्रकार सुशोभित हो रही थी, मानो सुंदरता और श्रृंगार रस एकत्र हो गए हो. पृथ्वी, पाताल और स्वर्ग में यश फैल गया कि श्रीराम ने धनुष तोड़ दिया और सीताजी का वरण कर लिया. इसी के मद्देनजर प्रतिवर्ष अगहन मास की शुक्ल पंचमी को प्रमुख राम मंदिरों में विशेष उत्सव मनाया जाता है.
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम-सीता के शुभ विवाह के कारण ही यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है. भारतीय संस्कृति में राम-सीता आदर्श दम्पत्ति माने गए हैं.
जिस प्रकार प्रभु श्रीराम ने सदा मर्यादा पालन करके पुरुषोत्तम का पद पाया, उसी तरह माता सीता ने सारे संसार के समक्ष पतिव्रता स्त्री होने का सर्वोपरि उदाहरण प्रस्तुत किया. इस पावन दिन सभी को राम-सीता की आराधना करते हुए अपने सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.