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Ganesh Mahotsav 2024: गणेश का सिद्धिविनायक रूप सबसे मंगलकारी क्यों है? जानें इनकी महिमा और पूजा के लाभ

Ganesh Mahotsav 2024: भगवान सिद्धिविनायक की सूंड दाईं तरफ मुड़ी होने से उन्हें नवसाचा गणपति यानि मन्नत पूरी करने वाले गणपति कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जहां कहीं भी दाईं ओर सूंड वाले भगवान गणेश की मूर्ति होती है, वो सिद्धपीठ कहलाता है.

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अष्टविनायक स्वरूप में "सिद्धि विनायक" सबसे ज्यादा मंगलकारी माने जाते हैं. सिद्धटेक नामक पर्वत पर इनका प्राकट्य होने के कारण इन्हें सिद्धि विनायक कहा जाता है.
अष्टविनायक स्वरूप में "सिद्धि विनायक" सबसे ज्यादा मंगलकारी माने जाते हैं. सिद्धटेक नामक पर्वत पर इनका प्राकट्य होने के कारण इन्हें सिद्धि विनायक कहा जाता है.

Ganesh Mahotsav 2024 Date: भगवान गणेश के मुख्य रूप से आठ स्वरूप माने जाते हैं. इन स्वरूपों में जीवन की हर समस्या का समाधान छिपा है. अष्टविनायक स्वरूप में 'सिद्धि विनायक' सबसे ज्यादा मंगलकारी माने जाते हैं. सिद्धटेक नामक पर्वत पर इनका प्राकट्य होने के कारण इन्हें सिद्धि विनायक कहा जाता है. यह भी माना जाता है कि इनकी सूंड सिद्दि की ओर है. इसलिए यह सिद्धि विनायक हैं. मात्र सिद्धि विनायक की उपासना से हर संकट और बाधा को नष्ट किया जा सकता है.

सिद्धिविनायक रूप में भगवान की सबसे बड़ी विशेषता है- बाप्पा की सूंड. आमतौर पर गणपति की सूंड बाईं तरफ मुड़ी होती है. लेकिन भगवान सिद्धिविनायक की सूंड दाईं तरफ मुड़ी होने से उन्हें नवसाचा गणपति यानि मन्नत पूरी करने वाले गणपति कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जहां कहीं भी दाईं ओर सूंड वाले भगवान गणेश की मूर्ति होती है, वो सिद्धपीठ कहलाता है.

भगवान सिद्धि विनायक का स्वरूप
ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के निर्माण के पूर्व सिद्धटेक पर्वत पर विष्णु भगवान ने इनकी उपासना की थी. इनकी उपासना के बाद ही ब्रह्मदेव सृष्टि की रचना बिना बाधा के कर पाए . सिद्धि विनायक का स्वरूप चतुर्भुजी है. इनके ऊपर के हाथों में कमल और अंकुश है. नीचे एक हाथ में मोतियों की माला और एक हाथ में मोदक का कटोरा है. इनके साथ इनकी पत्नियां रिद्धि-सिद्धि भी हैं.

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मस्तक पर त्रिनेत्र और गले में सर्प का हार है. सूक्ष्म शिल्पाकारी से परिपूर्ण गर्भग्रह के चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाले चांदी के अद्भुत मंडप पर भगवान सिद्धिविनायक विराजे हैं. जिनके दर्शनों से भक्त भाव विभोर हो जाते हैं. बाप्पा की ये प्रतिमा काले पत्थर से बनी है. उनका विग्रह चतुर्भुजी है. गणपति के दोनों ओर उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि मौजूद हैं, जो धन, ऐश्वर्य, सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रतीक हैं.

सिद्धि विनायक की उपासना के लाभ
सिद्धि विनायक की उपासना से हर तरह की विघ्न बाधा समाप्त हो जाती है. किसी भी कार्य के आरम्भ में इनकी पूजा और स्मरण लाभकारी होता है. इनकी उपासना से निश्चित संतान की प्राप्ति होती है. इनकी उपासना से कर्ज से मुक्ति मिलती है और लाभ बढ़ जाता है. सिद्धि विनायक की नियमित पूजा करने से घर में सुख सम्पन्नता बनी रहती है.

सिद्धि विनायक की उपासना कैसे करें?
भगवान सिद्धि विनायक की स्थापना गणेश महोत्सव या चतुर्थी तिथि को करें. बुधवार को भी इनकी स्थापना कर सकते हैं. नित्य प्रातः उन्हें दूर्वा और मोदक अर्पित करें. उनके मंत्रों का जाप करें और आरती भी करें. जहां भी सिद्धिविनायक की स्थापना करें, वहां दोनों वेला घी का दीपक जलाते रहें. भगवान गणेश के इस सबसे मंगलकारी स्वरूप की पूजा उपासना के साथ ही विशेष मंत्रों का जाप करना आपते लिए एक अमोघ कमच के समान हो सकता है.

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