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Chandra Grahan 2024: आखिर क्यों राहु केतु के कारण लगता है चंद्रग्रहण? जानें इसके पीछे की वजह

Chandra Grahan 2024: ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण को घटना मानी जाती है. इसके पीछे का कारण राहु केतु को बताया गया है. वहीं, विज्ञान के अनुसार जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है तो ग्रहण लगता है. वहीं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पीड़ित हो जाते हैं.

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चंद्र ग्रहण 2024
चंद्र ग्रहण 2024

Chandra Grahan 2024: साल का पहला चंद्रग्रहण आज लगने जा रहा है. ये चंद्रग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में लगने जा रहा है. ज्योतिषियों की मानें तो चंद्र ग्रहण पर सबसे ज्यादा असर राहु और केतु का पड़ता है, इसी कारण ग्रहण भी लगता है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों राहु और केतु के कारण ग्रहण लगता है.

क्यों लगता है ग्रहण

एक पौराणिक कथा के अनुसार, पौराणिक कथा के अनुसार देवों और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों में एक अमृत कलश भी निकला था. इसके लिए देवताओं और दानवों में विवाद होने लगा. इसको सुलझाने के लिए मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. मोहिनी रूप धारण किये हुए भगवान विष्णु ने अपने हाथ में अमृत कलश देवताओं और दानवों में समान भाग में बांटने का विचार रखा. जिसे भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से आसक्त होकर दानवों ने स्वीकार कर लिया. तब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग लाइन में बैठा दिया.

दानवों के साथ कुछ गलत हो रहा है. इसकी भनक दैत्यों की पंक्ति में स्वर्भानु नाम के दैत्य को लग गई. उसे यह आभास हुआ कि मोहिनी रूप में दानवों के साथ धोखा किया जा रहा है. ऐसे में वह देवताओं का रूप धारण कर सूर्य और चन्द्रमा के बगल आकर बैठ गए. जैसे ही अमृत पान को मिला, वैसे ही सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और यह बात भगवान विष्णु को बताई, जिस पर क्रोधित होकर नारायण भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र के राहु के गले पर वार किया, लेकिन तब तक राहु अमृत पी चुका था. इससे उसकी मृत्यु तो नहीं हुई, परन्तु उसके शरीर के दो धड़ जरूर हो गए. 

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सिर वाले भाग को राहु और धड़ वाले भाग को केतु कहा गया. इसके बाद ब्रह्मा जी ने स्वर्भानु के सिर को एक सर्प वाले शरीर से जोड़ दिया. यह शरीर ही राहु कहलाया और उसके धड़ को सर्प के दूसरे सिरे के साथ जोड़ दिया, जो केतु कहलाया. सूर्य और चंद्रमा के राज खोलने के कारण राहु और केतु दोनों इनके दुश्मन बन गए. इसी कारण ये राहु और केतु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रस लेते हैं.

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