Upay to avoid challenges: हमारी कुंडली के ग्रह बहुत हद तक बता देते हैं कि जीवन में संघर्ष की स्थिति क्या रहने वाली है. कुंडली के त्रिकोण और इसके स्वामी जीवन में संघर्ष की स्थिति को बयां करते हैं. लग्न पंचम और नवम भाव के स्वामी की स्थिति बताती है कि संघर्ष कितना और कैसा होगा. इनमे भी पंचम भाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. इस भाव के स्वामी की स्थिति अच्छी हो तो समस्याएं कम होती हैं. व्यक्ति कम प्रयास में ही सफलता पा जाता है.
जब व्यक्ति की कुंडली त्रिकोण स्थान कमजोर हो या लग्न स्थान कमजोर हो तो जीवन संघर्षों से भरा रहता है. इसके अलावा, जब कुंडली में लगातार अशुभ दशाएं आती जाएं या अष्टकवर्ग के दशम भाव में कम शुभ बिंदु हों तब भी समस्याएं आती हैं. आइए अब आपको राशिनुसार संघर्ष को करने के उपाय बताते हैं.
मेष- नियमित रूप से सूर्य की उपासना करें. गुरुवार को धर्मस्थान जाकर प्रार्थना करें.
वृष- शनिदेव की उपासना जरूर करें. पौधे लगाएं और उनकी देखभाल करें.
मिथुन- शनिवार को हनुमान जी की उपासना अवश्य करें. मंगलवार और शनिवार को सुन्दरकाण्ड का पाठ करें.
कर्क- हनुमान जी की उपासना अवश्य करें. गुरुवार को निर्धनों और बुजुर्गों को पीली मिठाई बांटें.
सिंह- घर में एक केले का पौधा लगाएं. संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करें.
कन्या- भगवान कृष्ण को पंचामृत अर्पित करें. शनि देव की यथाशक्ति पूजा करें.
तुला- शनि स्तोत्र का पाठ करें. भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें.
वृश्चिक- घर में एक केले का पौधा जरूर लगाएं. शिवजी को हर सोमवार को बेलपत्र अर्पित करें.
धनु- हनुमान जी की उपासना अवश्य करें. ताम्बे के बर्तनों का प्रयोग जरूर करें.
मकर- चांदी का कड़ा या छल्ला अवश्य धारण करें. ढेर सारे पीपल के पौधे लगाएं.
कुंभ- शिवजी को पंचामृत अर्पित करें. तुलसी की माला गले में धारण करें.
मीन- पूर्णिमा का व्रत जरूर रखें. हनुमान जी की पूजा राम जी के साथ करें.