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Shanishchari Amavasya 2022: शनिश्चरी अमावस्या पर 14 साल बाद अद्भुत योग, जानें मुहूर्त और पूजन विधि

अमावस्या पर पितृ कर्म यानी श्राद्ध, तर्पण करना बहुत फलदायी माना जाता है. इस बार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शनिवार, 27 अगस्त को है. ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल भाद्रपद की अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है. भादो की शनिश्चरी अमावस्या पर एक बेहद दुर्लभ संयोग बनने वाला है.

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Shanishchari Amavasya 2022: शनिश्चरी अमावस्या पर 14 साल बाद अद्भुत योग, जानें मुहूर्त और पूजन विधि (Photo: Getty Images)
Shanishchari Amavasya 2022: शनिश्चरी अमावस्या पर 14 साल बाद अद्भुत योग, जानें मुहूर्त और पूजन विधि (Photo: Getty Images)

Shanishchari Amavasya 2022: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. धर्म शास्त्रों में यह तारीख पितरों और पूर्वजों को समर्पित है. इस दिन पितृ कर्म यानी श्राद्ध, तर्पण करना बहुत फलदायी माना जाता है. इस बार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शनिवार, 27 अगस्त को है. ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल भाद्रपद की अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है. भादो की शनिश्चरी अमावस्या पर एक बेहद दुर्लभ संयोग बनने वाला है.

ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि अमावस्या और शनिवार का संयोग बहुत कम बार देखने को मिलता है. दिन शनिवार होने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं. इस साल यह संयोग 27 अगस्त को बनने जा रहा है. खास बात ये है कि भाद्रपद मास में शनिश्चरी अमावस्या का संयोग 14 साल बाद बनेगा. इससे पहले यह दुर्लभ संयोग 30 अगस्त 2008 को बना था. भादो में शनिश्चरी अमावस्या का यह संयोग अब दो साल बाद यानी साल 2025 में बनेगा.

भाद्रपद अमावस्या में शुभ योग (Shanishchari Amavasya Shubh Yog)
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि गुरुवार, 26 अगस्त को दोपहर करीब 12 बजकर 24 मिनट से प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी शनिवार, 27 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के कारण अमावस्या 27 अगस्त को ही मनाई जाएगी. ज्योतिषविदों की मानें तो इस साल भादो अमावस्या पर मघा नक्षत्र होने से पद्म नाम का एक शुभ योग भी बनेगा. साथ ही साथ इस दिन शिव योग भी रहेगा.

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शनिश्चरी अमावस्या का महत्व (Shanishchari Amavasya Significance)
ग्रहों के सेनापति न्याय देव शनि इस वक्त मकर राशि में वक्री अवस्था में विराजमान हैं. शनि स्वयं इस राशि के स्वामी हैं. ऐसे में अमावस्या तिथि पर शनि की विशेष पूजा-अर्चना कर आप शनि दोष से मुक्त हो सकते हैं. जो लोग शनि की साढ़े साती और शनि की ढैय्या से परेशान हैं, वे भी कुछ विशेष उपाय कर इनके प्रभाव से बच सकते हैं. 

पूजन विधि (Shanishchari Amavasya Puja)
हिंद धर्म में शनिश्चरी अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन तीर्थ स्नान और दान-धर्म के कार्य करने से इंसान पाप मुक्त हो जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या पर दान करने से कई यज्ञों जितना पुण्य मिलता है. इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण भी करते हैं. इस दिन तीर्थ स्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व होता है. अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का विधान है. उसके बाद गरीबों को भोजन कराया जाता हैं.

 

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