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पत्नी के साथ पूजा करते दिखे कथावाचक इंद्रेश, दाईं ओर क्यों बैठी थीं शिप्रा?

कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय ने हरियाणा की शिप्रा शर्मा से जयपुर में 5 दिसंबर को शादी की शादी के बाद हाल ही में उन्होंने अपने दादाजी के 29वें वैकुंठ उत्सव पर पूजा करते हुए तस्वीरें शेयर की हैं.

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इंद्रेश उपाध्याय ने अपनी पत्नी शिप्रा के साथ पूजा की. (Photo: Instagram/bhaktpant)
इंद्रेश उपाध्याय ने अपनी पत्नी शिप्रा के साथ पूजा की. (Photo: Instagram/bhaktpant)

कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय का विवाह हरियाणा के यमुनानगर की शिप्रा शर्मा के साथ जयपुर में 5 दिसंबर को हुआ था. शादी और उसके फंक्शंस की फोटोज सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुईं. शादी के बाद इंद्रेश-शिप्रा सबसे पहले दर्शन करने तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंचे थे जिसकी फोटोज उन्होंने शेयर की थीं. अब हाल ही में इंद्रेश उपाध्याय ने अपनी पत्नी शिप्रा के साथ कुछ और फोटोज शेयर की हैं जिसमें वे अपने दादाजी अनंत श्री विभूषित श्री रामानुज प्रपन्नाचार्य गुरुजी के 29वें वैकुंठ उत्सव पर पूजा करते दिख रहे हैं.

दाईं ओर बैठी थीं शिप्रा

हिंदू परंपरा में पत्नी का पूजा के समय पति की दाईं ओर बैठना सिर्फ एक रिवाज़ नहीं, बल्कि उसके पीछे गहरा धार्मिक और प्रतीकात्मक अर्थ है. शास्त्रों के अनुसार, पत्नी को 'अर्धांगिनी' कहा गया है, यानी पति का आधा हिस्सा. पूजा, यज्ञ या किसी भी धार्मिक कर्मकांड में पति-पत्नी साथ होते हैं लेकिन दाईं ओर बैठना शक्ति (शक्ति तत्व) का प्रतीक माना जाता है.

वैदिक मान्यताओं के मुताबिक, यज्ञ और पूजा बिना पत्नी के अधूरे माने जाते हैं. पत्नी का दाईं ओर बैठना यह दर्शाता है कि वह धर्म, संस्कार और परिवार में बराबर की भागीदार है. सरल शब्दों में कहें तो पूजा में पत्नी का दाईं ओर बैठना यह बताता है कि धर्म, कर्म और जीवन तीनों में पति-पत्नी साथ और बराबर हैं.

पारंपरिक वेशभूषा में दिखे दोनों

कथावाचक इंद्रेश अपनी पत्नी के साथ घर बाहर (पोर्च) में पूजा करते दिख रहे हैं. पूजा के समय शिप्रा ने हल्के क्रीम या आइवरी रंग की साड़ी पहनी है जिसके साथ उन्होंने गहरे लाल रंग की चुनरी ओढ़ी हुई है. लाल रंग सुहाग, शक्ति और शुभता का प्रतीक माना जाता है और शादी के बाद कुछ समय तक जो चुनरी फेरों के समय पहनी जाती है, उसे हर पूजा में पति के से साथ पहनना होता है.

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शिप्रा की साड़ी सिंपल लेकिन एलिगेंट टेक्सचर वाली थी, वहीं उनकी चुनरी पर हल्की बॉर्डर थी. कथावाचक इंद्रेश ने ग्रे-चेक पैटर्न का कुर्ता, सफेद धोती और ऊपर से गहरे रंग का शॉल ओढ़ा हुआ था जो उनकी पारंपरिक ड्रेस है क्योंकि वह अक्सर धोती और कुर्ता में ही नजर आते हैं.

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