Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को प्राचीन भारत का एक महान दार्शनिक, अर्थशास्त्री और रणनीतिकार कहा जाता है. उन्होंने अपनी रचना 'चाणक्य नीति' में जीवन की समस्याओं और उनके उन्मूलनों का विस्तारपूर्वक चिंतन किया है. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में उन कारणों का उल्लेख किया है, जिनकी वजह से एक व्यक्ति चाहकर भी धनवान नहीं बन सकता. आइए उनके द्वारा बताए गए ऐसे तीन कारणों के बारे में जानते हैं.
अहंकार
चाणक्य के अनुसार, धन आने के बाद अगर किसी इंसान के स्वभाव में अहंकार आ जाए तो उसकी धन-दौलत ज्यादा समय तक नहीं टिक पाती है. धन का अहंकार व्यक्ति को धीरे-धीरे पतन की ओर ले जाता है. जो लोग अपने पैसे पर अभिमान करते हैं, वे अक्सर अपनी जमा पूंजी खो बैठते हैं. धन का अहंकार इंसान की समझ और निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर कर देता है. पैसों के घमंड में चूर व्यक्ति धीरे-धीरे अपने रिश्ते भी खो देता है.
फिजूलखर्ची
आचार्य चाणक्य फिजूलखर्ची को भी आर्थिक कमजोरी का बड़ा कारण मानते हैं. चाणक्य नीति के अनुसार, जरूरत से ज्यादा और बिना सोचे-समझे किया गया खर्च भविष्य में गंभीर परेशानियां खड़ी कर सकता है. जिन लोगों को बेवजह धन उड़ाने की आदत होती है, उन्हें बार-बार आर्थिक नुकसान झेलने पड़ते हैं. ध्यान रहे कि धन का स्वभाव बहुत चंचल होता है. यह कभी एक जगह टिककर नहीं रहता है. बेवजह खर्च की आदत इंसान के धनकोष को खाली कर सकती है.
गलत ढंग से की हुई कमाई
चाणक्य नीति में कहा गया है कि गलत तरीकों से की गई कमाई आजीवन इंसान के पास नहीं रहती है. एक न एक दिन वो हाथ से चली ही जाती है. मसलन रिश्वत या अनैतिक साधनों से कमाया गया धन स्थायी नहीं होता है. वो थोड़े समय के लिए आपको संतोष तो दे सकता है. लेकिन जिंदगीभर आपके पास नहीं रहेगा. दूसरा, ऐसे स्रोतों से आया हुआ धन अपने साथ बहुत सारे दुख, संकट और दरिद्रता भी लेकर आता है. ऐसा धन अगर आपके पास आ भी जाए तब भी आप एक पल भी सुकून से नहीं रह पाएंगे.