Bhuvaneshwari Jayanti 2022: हिंदू धर्म में स्त्री को देवी के रूप में पूजा जाता है. यहां भक्तों द्वारा नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में धन और वैभव की देवी लक्ष्मी हैं, वहीं ज्ञान और विवेक की देवी सरस्वती और मां भुवनेश्वरी को शक्ति का स्वरूप माना जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, माता भुवनेश्वरी प्राणियों का पालन करती हैं. भुवनेश्वरी जयंती भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष द्वादशी के दिन मनाई जाती है. आज 7 सितंबर, बुधवार के दिन माता भुवनेश्वरी की जयंती मनाई जा रही है. इस दिन यदि व्यक्ति माता भुवनेश्वरी की पूजा करता है तो उसे धन और शक्ति की प्राप्ति होती है. वहीं अध्यात्म के मार्ग पर चलने वालों के लिए भी देवी की उपासना करना फलदायी माना गया है. मां भुवनेश्वरी की आराधना करने से वैराग्य और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
भुवनेश्वरी जयंती का महत्व (Bhuvaneshwari jayanti 2022 importance)
कहा जाता है कि भुवनेश्वरी जयंती के दिन स्वयं देवी धरती पर आती हैं. भुवनेश्वरी का मतलब होता है, समस्त ब्रह्मांड की रानी. कहते हैं कि भुवनेश्वरी देवी समस्त ब्रह्मांड पर राज करती हैं. वे अपने नियम समस्त पृथ्वी को प्रदान करती हैं. वे अपनी इच्छा अनुसार परिस्थितियों को नियंत्रण में करती हैं. समस्त ब्रह्मांड उनके शरीर का हिस्सा है और सभी प्राणियों को वे गहने के रूप में धारण करती हैंं. वे समस्त ब्रह्मांड की रक्षा ऐसे करती हैं जैसे वो एक कोमल फूल हो और जिसे उन्होंने अपने हाथ में संभाल रखा है.
भुवनेश्वरी जयंती की पूजन विधि (Bhuvaneshwari jayanti 2022 Pujan vidhi)
भुवनेश्वरी जयंती के दिन साधक को साफ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद एक साफ चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां भुवनेश्वरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए. इसके बाद मां को लाल रंग के पुष्प, वस्त्र, श्रृंगार, कुमकुम, अक्षत यानी चावल, चंदन और रूद्राक्ष की माला अर्पित करें. इसके बाद स्वच्छ मन से पूरे विधि-विधान के साथ माता की पूजा करनी चाहिए. यदि आप माता की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो मदिरा, मांसाहारियों से दूरी बनाएं और जरुरत मंदों की सहायता करें. यदि आप माता भुवनेश्वरी जयंती पर व्रत रखते हैं तो आपको माता के किसी मंदिर में जाकर मंदिर प्रांगण की साफ-सफाई करनी चाहिए.
भुवनेश्वरी जयंती के मंत्र
ऊं एम हरिम श्रीम नम:
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