
भारत में आपने कई ऐसे स्वास्थ्य केंद्र देखे होंगे जहां मरीजों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन कभी आपने ऐसा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देखा है जो बड़े-बड़े अस्पतालों को भी टक्कर देता हो. जहां हॉस्पिटल की तरह न सिर्फ इलाज मिलेगा, बल्कि छोटे से यूपीएचसी में लिफ्ट, सीसीटीवी और सिनेमा जैसी कई ऐसी सुविधाएं भी हैं. यही नहीं, यहां मरीज को डिस्चार्ज करने के बाद डॉक्टर फोन के जरिए उसकी मॉनिटरिंग करते हैं और डॉक्टरों की सुविधाओं का स्तर कैसा रहा, इसका भी पेशेंट फीडबैक QR कोड को अपने मोबाइल से स्कैन करके दे सकता है.
राजस्थान की राजधानी जयपुर के देवीनगर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जिसकी देश भर में चर्चा है. इस स्वास्थ्य केंद्र को राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता वाले चिकित्सा संस्थान के रूप में पहचान मिली है. यह प्रदेश का पहला ऐसा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जिसे नेशनल क्वालिटी इंश्योरेंस स्टैंडर्ड में लगातार दो बार अवॉर्ड मिल चुका है.
इस यूपीएचसी के मॉडल को प्रदेश के कई अस्पतालों ने अपनाया है, जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है. यूपीएचसी पर एक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अलावा नर्सिंग ऑफिसर, सीनियर फार्मासिस्ट, एलटी, एलएचवी, एएनएम, पीएचएम, फार्मासिस्ट, कंप्यूटर ऑपरेटर, लैब सहायक, सपोर्टिंग स्टाफ और सफाईकर्मी है, जो एक टीम वर्क के तौर पर पेशेंट को ट्रीट करते हैं. यहां साफ सफाई, पेंटिंग, चाइल्ड फ्रेंडली रूम, वेटिंग रूम, दिव्यांग व्हीलचेयर, मेडिसिन काउंटर, टेस्टिंग रूम, बायोमेट्रिक सुविधाएं हैं, जो अक्सर स्वास्थ्य केंद्रों पर बहुत कम देखने को मिलती हैं.

यूपीएचसी के प्रभारी CMHO डॉ अनिल नायर बताते हैं, शहरी स्वास्थ्य केंद्र देवीनगर की 2013 में शुरुआत हुई और तब से लेकर अब तक मरीजों की संतुष्टि का लेवल देखते हुए यहां पर कार्य करते हैं. इस यूपीएचसी में 12 डिपार्टमेंट हैं और सभी में स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के हिसाब से कार्य होता है.
यही वजह है कि 2019 में भारत की राष्ट्रीय गुणवत्ता टीम ने इस यूपीएचसी में सुविधाओं और उनके रखरखाव के मानकों का निरीक्षण किया गया, जिस पर यह नेशनल शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवीनगर खरा उतरा.
अब यह राजस्थान की पहली ऐसी यूपीएचसी है जो नेशनल क्वालिटी इंश्योरेंस स्टैंडर्ड से सम्मानित हो चुकी है. यही नहीं, 2018 के बाद 2022 में भी इस यूपीएचसी ने यही कीर्तिमान वापस रचा. उसके बाद राजस्थान के करीब 63 अस्पतालों की टीमों ने इस यूपीएचसी का विजिट कर, इसके मॉडल को अपने अस्पतालों में भी अपनाया.
यहां हर एक मरीज का रिकॉर्ड ऑनलाइन रहता है और मरीज डिस्चार्ज करने के बाद डॉक्टर फोन कॉल के जरिए उसकी मॉनिटरिंग करते रहते हैं. यही नहीं, यूपीएचसी में छोटे बच्चों के लिए चाइल्ड फ्रेंडली रूम बनाया गया है, जिसमें डोरेमोन, मोटू-पतलू जैसे कार्टून है, ताकि बच्चों का डॉक्टर से अटैचमेंट रहे.
दरअसल, सरकारी अस्पतालों में जहां गंदगी, डॉक्टरों की लेटलतीफी सहित कई समस्याओं से मरीज परेशान होता है. वहीं, ऐसे शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ने बेहतर कायाकल्प कर एक मिसाल पेश की है.
यही नहीं, इसे स्वास्थ्य विभाग ने एक मॉडल के तौर पर पेश किया है. यही वजह है कि दिल्ली से आने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीम हो या फिर WHO की टीम सबसे पहले इसी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की विजिट करवाई जाती है. इस यूपीएचसी को राष्ट्रीय गुणवत्ता कार्यक्रम के तहत 93.08 प्रतिशत अंक मिले है, जो राजस्थान में नंबर वन पर है.