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गहलोत-पायलट की सुलह के लिए कांग्रेस अपना सकती है यह फॉर्मूला!

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में दिल्ली पार्टी कार्यलय में आगामी चुनावी राज्यों वाले नेताओं की बैठक बुलाई गई है. बैठक में राजस्थान के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, सीएम अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा, सचिन पायलट और डॉ. सीपी जोशी को भी बुलाया गया है.

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कांग्रेस नेता सचिन पायलट (बाएं) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (बीच में) और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत.
कांग्रेस नेता सचिन पायलट (बाएं) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (बीच में) और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत.

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी जंग को जल्द खत्म करने की पार्टी हाईकमान कोशिश कर सकती है. माना जा रहा है कि अगले सप्ताह होने वाली राजस्थान के नेताओं से मीटिंग के सुलह होने के आसार हैं. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 29 मई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करेंगे.

साथ ही सचिन पायलट से भी खड़गे की मुलाकात होगी. इनके अलावा खड़गे राजस्थान के प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा, 3 सह प्रभारी और प्रदेश के पार्टी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से भी मुलाकात करेंगे. रंधावा खड़गे के सामने राजस्थान को लेकर अपनी फीडबैक रिपोर्ट पेश कर सकते हैं. माना जा रहा है कि पार्टी के सामने राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह कराने के सीमित विकल्प हैं, जिनको वह पार्टी नेताओं के सामने पेश कर सकते है. 

पहला विकल्प

इनमें से पहल विकल्प यह है कि सचिन पायलट को एक बार फिर से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त करें. हालांकि, गहलोत इस विकल्प का विरोध यह कहते हुए कर सकते है कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अच्छा काम कर रहे हैं. इस परिस्थिति में पार्टी नेतृत्व गहलोत को डोटासरा को उपमुख्यमंत्री बनाने के लिए कह सकती है.

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दूसरा विकल्प

इसके अलावा शीर्ष नेतृत्व प्रदेश में होने वाले चुनाव से पहले सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करने का विकल्प पेश कर सकती है. गहलोत इसका भी विरोध यह कहते हुए कर सकते हैं कि जब मुख्यमंत्री वह हैं तो पार्टी को उन्हीं की नीतियों और चेहरे के साथ चुनाव में जाना चाहिए. माना यह जा रहा है कि अशोक गहलोत नहीं चाहते कि सचिन पायलट को पार्टी में ज्यादा तवज्जो मिले और वह पार्टी नेतृत्व से सचिन पायलट के खिलाफ उनके हालिया बयानों के लिए कार्रवाई करने की मांग रख सकते हैं.

दिल्ली में बुलाई गई बैठक

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में दिल्ली पार्टी कार्यलय में आगामी चुनावी राज्यों वाले नेताओं की बैठक बुलाई गई है. बैठक में राजस्थान के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, सीएम अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा, सचिन पायलट और डॉ. सीपी जोशी को भी बुलाया गया है. इसके अलावा अलग-अलग प्रदेशों के राजस्थान से प्रभारी और कुछ बड़े नेताओं को बुलाया गया है. इनमें रघु शर्मा, हरीश चौधरी, कुलदीप इंदौरा, भंवर जितेंद्र सिंह और रघुवीर मीणा भी शामिल हैं.

31 मई तक पायलट की मांगों पर एक्शन लेने का दबाव

कांग्रेस की बैठक से पहले पार्टी हाईकमान के पास राजस्थान कांग्रेस संगठन, गहलोत सरकार, मंत्री, विधायकों के बयान और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कई तरह की रिपोर्ट पहुंची है. इसमें कई नेताओं, मंत्रियों की ओर से अपनी सरकार के खिलाफ दिए गए बयानों और आरोपों के वीडियो और लिखित वर्जन भी शामिल हैं. ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में होने वाली बैठक राजस्थान के बड़े घटनाक्रम के संकेत दे रही है, क्योंकि करप्शन और पेपर लीक के मुद्दे पर पायलट के अल्टीमेटम में दो दिन का वक्त बचा है. 31 मई तक गहलोत सरकार पर पायलट की मांगों पर एक्शन लेने का दबाव है.

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सचिन पायलट ने खोल रखा है मोर्चा

बता दें कि सचिन पायलन ने भ्रष्टाचार और पेपर लीक मामले को लेकर खुलकर मोर्चा खोल रखा है. 31 मई तक गहलोत सरकार पर पायलट की मांगों पर एक्शन लेने का दबाव है. साथ ही पायलट और उनके खेमे के कांग्रेस विधायकों ने एलान कर रखा है कि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो प्रदेश भर में गांव-ढाणी तक जाकर आंदोलन करेंगे. इस तरह से पायलट के विधायकों ने स्पष्ट कर रखा है कि अब याचना नहीं रण होगा. ऐसे में कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में किसी तरह की कोई रिस्क लेने के चक्कर में नहीं है. इसीलिए गहलोत और पायलट के बीच सुलह-समझौता की आखिरी कोशिश हो रही है.

 

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