संविधान कहता है कि देश के नागरिकों को जीवन का अधिकार मिला है. लेकिन जब बड़ी-बड़ी एजेंसियां ये दावा करती हैं कि प्रदूषण की वजह से दिल्ली की हवा में सांस लेना जिंदगी पर खतरे के बराबर है तो फिर कहां हैं संविधान का अधिकार. हालत ये है कि छोटे बच्चों को घर से पड़ाई के लिए कहा जा रहा है. पहले सुप्रीम कोर्ट ने और अब दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में जानलेवा प्रदूषण को देखते हुए अपने वकीलों को घर से ही ऑनलाइन पेश होने की छूट दे दी है. देखें ख़बरदार.