तमिलनाडु के साथ यह दुर्भाग्य रहा है कि अपने प्रखर व्यक्तित्व के बाद भी यहां के बड़े नेता क्षेत्रीय नेता बनकर ही रह जाते रहे हैं. के कामराज एक समय कांग्रेस में सबसे पावरफुल लीडर थे, उनके सामने पीएम बनने का भी प्रस्ताव था पर वो भी कभी राष्ट्रीय शख्सियत नहीं बन सके. एमजी रामचंद्रन, जयललिता, करुणानिधि बाद के दशकों में तमिलनाडु के सबसे बड़े नेता रहे पर अपने राज्यों तक ही इनकी भी लोकप्रियता सीमित रह गई. कांग्रेस और बीजेपी की सरकारों में कई केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी पहचान बनाई पर उनकी ख्याति भी तमिलनाडु तक ही रह गई. इसके उलट कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के नेताओं ने प्रधानमंत्री तक देश को दिया. पीवी नरसिम्हा राव और एचडी देवगौड़ा के रूप में देश को दो पीएम मिले जिसमें एक आंध्रप्रदेश से हैं दूसरे कर्नाटक से. पर यह कारनाम करने में तमिलनाडु पीछे रह गया है. क्योंकि तमिल नेता हिंदी और हिंदू को लेकर बहुत कन्फ्यूज रहे.
भारतीय जनता पार्टी जिस तरह तमिलनाडु के पूर्व अध्यक्ष हो चुके अन्नामलाई को राष्ट्रीय नेतृत्व में फिट करने जा रही है, उससे यही लगता है कि वे अपने राज्य के पहले ऐसे नेता बनेंगे जिसकी देश भर में अपनी पहचान होगी. जिस तरह उनकी तारीफ पर तारीफ मोदी से लेकर अमित शाह तक करते हैं , जिस तरह सोशल मीडिया पर उनकी चर्चा होती है उसे देखकर तो कम से कम ऐसा ही लग रहा है. यह भी हो सकता है कि साऊथ का दिल जीतने के लिए रणनीति के तहत अन्नामलाई को केंद्र की राजनीति में लाया जा रहा हो.
इसमें कोई 2 राय नहीं कि पूर्व आईपीएस 40 वर्षीय अन्नामलाई कर्मठ संघर्ष करने वाले नेता हैं. उन्होंने अपनी पदयात्राओं , तमिलनाडु की भ्रष्टाचार फाइल्स के जरिए स्टालिन सरकार को जमकर घेरा. वो पांव में चप्पल नहीं पहनते क्योंकि उन्होंने शपथ लिया हुआ है कि जब तक राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं बनवा लेंगे या राज्य की सत्ता से द्रमुक को बाहर नहीं कर लेंगे तब तक नंगे पांव ही रहेंगे.
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उनके नेतृत्व में तमिलनाडु में बीजेपी की मौजूदगी बढ़ी है. उनकी एन मन, एन मक्कल यात्रा और DMK के खिलाफ आक्रामक रुख ने उन्हें युवाओं और सोशल मीडिया में जबरदस्त लोकप्रिय बनाया. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी भले ही सीटें नहीं जीत पाई लेकिन पार्टी की वोट हिस्सेदारी 3.5% से बढ़कर 11.2% हुई, जिसका श्रेय अन्नामलाई को ही दिया जाता है.
पार्टी के लिए मुश्किल यह है कि वो अन्नामलाई को खोना भी नहीं चाहती है और तमिलनाडु में उन्हें रखना भी नहीं चाहती है. कारण यह है कि पार्टी 2026 में विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा कदम उठाते हुए AIADMK से गठबंधन करने का फैसला किया. राज्य के राजनीतिक माहौल को देखते हुए AIADMK के लिए भी ये मुफीद मौका लगा. अब कहा जा रहा है कि जब तक केंद्रीय नेतृत्व उनके लिए पार्टी या सरकार में कोई भूमिका नहीं तय करता, तब तक अन्नामलाई दक्षिण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. वे आगामी केरल चुनावों में पार्टी के स्टार कैंपेनर हो सकते हैं.
इस संकेत की पुष्टि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की, जिन्होंने चेन्नई में शुक्रवार को निवर्तमान राज्य अध्यक्ष की अभूतपूर्व कार्यों की सराहना की. शाह ने कहा कि भाजपा अन्नामलाई जी के संगठनात्मक कौशल का उपयोग पार्टी की राष्ट्रीय रूपरेखा में करेगी. इंडियन एक्सप्रेस ने एक वरिष्ठ भाजपा नेता के हवाले से लिखा है कि आईपीएस अधिकारी से राजनेता बने अन्नामलाई को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष या महासचिव बनाया जा सकता है. यह भी तैयारी है कि उन्हें बाद में सरकार में भी शामिल किया जा सकता है. एक्सप्रेस ने अपने सूत्रों के हवाले से यह भी लिखा है कि फिलहाल केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की कोई योजना नहीं है, इसलिए अन्नामलाई को इंतजार करना पड़ सकता है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि अन्नामलाई को भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है. अभी यह पद बीजेपी के तेज तर्रार और चर्चित सांसद तेजस्वी सूर्या के पास है. संगठनात्मक फेरबदल के चलते यह पद खाली हो सकता है और इसमें अन्नामलाई की एंट्री की प्रबल संभावना जताई जा रही है. अन्नामलाई को आगे और भी बड़ी भूमिका मिल सकती है. गौर करने वाली बात है कि इससे पहले अनुराग ठाकुर भी BJYM के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, जिन्होंने बाद में केंद्र सरकार में मंत्री पद भी संभाला और आज भी राष्ट्रीय मुद्दों पर पार्टी के प्रमुख चेहरा बने हुए हैं.
दरअसल बीजेपी चाहती है कि अन्नामलाई को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करके तमिल जनता के सामने एक नजीर रखी जाए. मतलब साफ है कि तमिलनाडु देश के राष्ट्रीय नेतृत्व से अपने को अलग-थलग न महसूस करे. अन्ना मलाई का नजरिया शिक्षा नीति पर हो या हिंदी और हिंदीभाषियों को लेकर राष्ट्रवादी रहा है. अन्ना मलाई की इमानदार और सिंघम वाली छवि का सही उपयोग भी तभी हो सकेगा जब उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित किया जा सके.