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गुजरात चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस को बहुत गहरी खाई पाटना होगी, ये हैं 5 बड़ी चुनौतियां

गुजरात अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने, बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में हराने के लिए एक बार फिर कई लक्ष्य रखे गए हैं. मौजूदा राजनीतिक हालात और समीकरणों को देखें तो गुजरात में कांग्रेस के साथ क्या होने वाला है?

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कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन में पहुंचे हुए राहुल , सोनिया और खड़गे
कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन में पहुंचे हुए राहुल , सोनिया और खड़गे

वैसे तो गुजरात विधानसभा चुनाव होने में ढाई साल का वक्‍त है, लेकिन 25 साल से इस सूबे की सत्‍ता से बाहर कांग्रेस अभी से वापसी के लिए छटपटा रही है. लोकसभा में विपक्ष का नेता बनते ही राहुल गांधी ने सदन में प्रधानमंत्री मोदी के सामने यह दावा किया है कि वे उन्‍हें गुजरात चुनाव में भी हराने जा रहे हैं. शायद इसी सोच के तहत कांग्रेस ने गुजरात में पार्टी का अधिवेशन भी रखा. अधिवेशन में पार्टी को मजबूत करने, बीजेपी को हराने के लिए एक बार फिर कई लक्ष्य रखे गए हैं. लेकिन, मौजूदा राजनीतिक हालात और समीकरणों को देखें तो गुजरात में कांग्रेस का जीतना एक दिवा स्वप्न की तरह ही है.

2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली 99 सीटों ने राहुल गांधी के कॉन्फिडेंस को बूस्ट कर दिया था. यही कारण रहा कि पिछले साल जुलाई में लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान उन्होंने पीएम की ओर इशारा करते हुए कहा था, 'आप लिखकर ले लो आपको विपक्षी इंडिया गठबंधन गुजरात में हराने जा रहा है.' लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में यह राहुल गांधी का संसद में पहला भाषण था. उन्होंने यही बात संसद सत्र के बाद अपने गुजरात दौरे में भी दोहराई थी. इसके बाद उन्होंने गुजरात का दो बार दौरा किया है. वो गुजरात अधिवेशन में भाग लेने के लिए एक बार फिर अहमदाबाद में हैं.

1-अपने ही नेताओं पर संदेह को जगजाहिर कर देना

राहुल गांधी गुजरात अधिवेशन से कुछ हफ्ते पहले गुजरात दौरे पर थे. उन्होंने अति उत्साह में  कहा कि गुजरात कांग्रेस के कुछ नेता बीजेपी से मिले हुए हैं. राहुल ने तब कहा था कि गुजरात कांग्रेस में दो तरह के लोग हैं. एक वो हैं, जो जनता के साथ खड़े हैं. जिसके दिल में कांग्रेस की विचारधारा है.राहुल ने कहा, दूसरा वो हैं, जो जनता से दूर हैं. कटे हुए हैं और उसमें से आधे बीजेपी से मिले हुए हैं. जब तक हमने इन दोनों को अलग नहीं किया, तब तक गुजरात की जनता हम पर विश्वास नहीं कर सकती है. राहुल कहते हैं कि अगर हमें सख्त कार्रवाई करनी पड़ी. 10, 15, 20, 30 लोगों को निकालना पड़ा तो निकाल देना चाहिए. बीजेपी के लिए अंदर से काम कर रहे हो. चलो जाकर बाहर से काम करो. तुम्हारी वहां जगह नहीं बनेगी. वो तुमको बाहर फेंक देंगे.

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दरअसल इस तरह की समस्या हर एक पार्टी में होती है. नेताओं को पता भी होता है और धीरे से एक्शन ले लिया जाता है. पर इस तरह सार्वजनिक रूप से बातें करने से कार्यकर्ताओं का मॉरल डाउन होता है. राहुल गांधी इसी दौरे में कहे थे कि गुजरात कांग्रेस को पूरी तरह फिट करने में 50 साल लगेंगे. कहा जाता है कि जिंदा कौमं 5 साल इंतजार नहीं करती. राहुल गांधी तो 50 साल की बात कर रहे थे. इस तरह से कार्यकर्ताओं का मॉरल डाउन करके कांग्रेस गुजरात विधानसभा का चुनाव नहीं जीत सकती है. 

2-गुजरात और गुजरातियों के प्रति द्वेष का भाव

राहुल गांधी ने 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पूरे देश में पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उद्योगपति मुकेश अंबानी, गौतम अडानी आदि को टार्गेट पर रखते हैं. जाहिर है कि ये सभी लोग गुजराती हैं. देश भर में एक संदेश चला गया है कि राहुल गांधी गुजरातियों को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं. कांग्रेस के एक ट्वीटर हैंडल पर सवाल पूछा जाता है कि बताओ देश की सेना में कितने गुजराती हैं? जाहिर है कि ये गुजरातियों को अपमानित करने के लिए पूछा जाता है. महाराष्ट्र से एक या दो प्रोजेक्ट गुजरात चले जाने पर महाराष्ट्र कांग्रेस ने पूरे गुजराती समुदाय पर ही सवाल उठा दिए थे. राहुल गांधी के एक बयान, जिसमें ये कहा गया था कि सारे मोदी चोर हैं पर उनको कोर्ट से सजा भी मिल चुकी है. इस तरह गुजरातियों को लगता है कि कांग्रेस के कारण पूरे देश में उन्हें खलनायक बना दिया गया है. 

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3-भाजपा की एंटी-इनकंबेंसी का फायदा उठाने के काबिल नहीं रहा कमजोर कांग्रेस संगठन

गुजरात में बीजेपी 25 साल से राज कर रही है. जाहिर है कि 2 साल बाद जब तक चुनाव होंगे सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी अभी और बढ़ेगी. जिस तरह 2017 में कांग्रेस को वोट मिले थे उससे तो यही लगा था 2022 में इस राज्य में बीजेपी का सफाया हो जाएगा. पर कांग्रेस संगठन की कमजोरी के चलते बीजेपी ने एक बार फिर अपनी बढ़त बना ली. राज्य में 30-35 साल तक के युवाओं को यह पता नहीं है कि कांग्रेस क्या है और उसकी सरकार कैसा काम करती है. हालांकि इसके बाद भी पिछले पांच विधानसभा चुनावों की बात करें तो पातें हैं कि राज्य में करीब 30 फीसदी वोट कांग्रेस के पास है. 

4-हार्दिक-अल्‍पेश जैसे तेजतर्रार नेताओं की कमी

गुजरात कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी है. दरअसल 25 साल से लगातार बीजेपी की सरकार होने के कारण गुजरात कांग्रेस से किसी को भी उम्मीद नहीं रह गई है. हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर ने गुजरात में कांग्रेस में नया उत्साह जगाया था. 2022 के विधानसभा चुनावों के पहले ही इन दोनों के कांग्रेस छोड़ने का नतीजा वोट शेयर में दिख गया था. 2017 में जहां कांग्रेस ने 41 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किया था वो 2022 में आकर 27 प्रतिशत पर सिमट गया. आज की हालत तो और खराब है. राहुल गांधी के इस बयान के बाद जिसमें उन्होंने कहा था कांग्रेस के ढेर सारे नेता बीजेपी से मिले हुए हैं पार्टी पर और संकट बढ़ गया है. बेहद सीमित लोगों के भरोसे कांग्रेस का गुजरात में फिर से उत्थान हो सकेगा यह असंभव ही लगता है.

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5-कांग्रेस और आप के बीच खाई के कारण इंडिया ब्‍लॉक के संयुक्त चुनाव लड़ने की उम्‍मीद कम

कांग्रेस जिस स्ट्रैटजी पर काम कर रही है उससे यह नहीं लगता कि भविष्य में कांग्रेस औेर आम आदमी पार्टी गुजरात में एक साथ चुनाव लड़ेंगी. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी के लिए एक बार क्लीन स्वीप करने का मौका होगा. कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता है आम आदमी पार्टी का उभार.2022 के विधानसभा चुनावों में गुजरात का मुकाबला त्रिकोणीय होने के चलते कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ था. अब अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सत्ता में नहीं हैं. जाहिर है अपना सारा समय वो गुजरात में ही लगाएंगे. 2022 में आम आदमी पार्टी के चलते ही 179 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस केवल 17 सीटें ही जीत पाई. 41 सीटों पर तो कांग्रेस जमानत भी नहीं बचा पाई. उसका वोट फीसदी 41.44 फीसदी से घटकर 27.28 फीसदी रह गया. वहीं आप ने 12.92 फीसदी वोटों के साथ पांच सीटें जीत ली थीं. राज्य में कांग्रेस के साथ मुश्कल है कौन कब पार्टी का साथ छोड़ दे यह निश्चित नहीं है. कांग्रेस के पांच विधायक पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी से हाथ मिला चुके हैं.

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