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जल्‍दी खत्म हो सकती है राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्‍याय यात्रा? कारण जयंत चौधरी के अलावा और भी हैं

राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' पहले खत्म हो सकती है. खबर है कि यूपी के हिस्से वाली यात्रा अवधि में कटौती की जा रही है. ये जयंत चौधरी के INDIA ब्लॉक छोड़ने की वजह से हो रहा हो, या अशोक चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने के चलते - कहीं राहुल गांधी को यात्रा को लेकर अफसोस तो नहीं होने लगा है?

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कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने राहुल गांधी के सामने तो भूल सुधार का मौका भी नहीं छोड़ा है
कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने राहुल गांधी के सामने तो भूल सुधार का मौका भी नहीं छोड़ा है

'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' असल में राहुल गांधी के 'मन की बात' है. और न्याय यात्रा को लेकर जो खबर आ रही है, लग रहा है जैसे इस बात से राहुल गांधी का मन ऊबने लगा है. क्योंकि खबर है कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा तय समय से पहले ही खत्म हो सकती है. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक, भारत जोड़ो न्याय यात्रा 20 मार्च को मुंबई पहुंच कर खत्म होनी थी. 

न्याय यात्रा के आखिरी दौर का प्लान में क्या तब्दीली की गई है, अभी ये नहीं मालूम. लेकिन ये जरूर पता चला है कि उत्तर प्रदेश में यात्रा की अवधि में कटौती की जा रही है, जिसकी वजह जयंत चौधरी का INDIA ब्लॉक छोड़ कर एनडीए ज्वाइन करना माना जा रहा है. 

असली कारण जो भी हो, लेकिन एक चीज देखने को तो मिल ही रही है, जब से राहुल गांधी ने ये यात्रा शुरू की है, INDIA ब्लॉक, विशेषकर कांग्रेस को झटके पर झटके और वो भी लगातार लग रहे हैं - आरएलडी नेता जयंत चौधरी और अशोक चव्हाण ने कांग्रेस छोड़कर ताजा-ताजा जख्म दिया है.

ऐसा लगता है जैसे राहुल गांधी की न्याय यात्रा भी INDIA ब्लॉक की गति को प्राप्त होने लगी है. जैसे INDIA ब्लॉक का सफर मंजिल की ओर बढ़ने से पहले ही लुढ़कने लगा है, भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी राजनीतिक राह भटकने लगी है - कांग्रेस के अकेले अकेले यात्रा निकालने को लेकर जेडीयू नेता तो पहले हमलावर थे ही, नीतीश कुमार तो अब भी खरी-खोटी सुनाते नहीं थक रहे हैं. बिहार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर अपने भाषण में नीतीश कुमार ने राहुल गांधी के साथ साथ लालू यादव को भी विपक्षी को लेकर अपने प्रयासों पर पानी फेर डालने की तोहमत मढ़ डाली.

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हाल ही में आये इंडिया टुडे के MoTN सर्वे के नतीजों से भी मालूम हुआ कि न्याय यात्रा को लेकर लोगों में भी राहुल गांधी की पिछली भारत जोड़ो यात्रा जैसी दिलचस्पी नहीं है. सर्वे में शामिल 42 फीसदी लोगों का मानना था कि न्याय यात्रा से राहुल गांधी की छवि में कोई सुधार नहीं हुआ है. मतलब, राहुल गांधी की यात्रा का लोगों पर कोई असर नहीं हो रहा है. कम से कम भारत जोड़ो यात्रा के बारे में तो ऐसा नहीं कहा जा सकता.

जब बिहार और बंगाल से परहेज नहीं तो पश्चिम यूपी से क्यों?

भारत जोड़ो न्याय यात्रा के सफर में सबसे ज्यादा समय उत्तर प्रदेश के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन अब उसमें कटौती किये जाने की बात सामने आ रही है. यूपी में राहुल गांधी को पहले 11 दिन गुजारने थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा - और इस बदलाव  का सीधा असर पूरी न्याय यात्रा पर पड़ने वाला है. यानी यात्रा 20 मार्च से पहले ही खत्म हो सकती है.

भारत जोड़ो न्याय यात्रा को जल्दी समेटने की खबर ऐसे वक्त आई है जब राहुल गांधी राजनीतिक रूप से अति महत्वपूर्ण राज्य उत्तर में दाखिल होने वाले हैं. न्याय यात्रा के महीने भर होने वाले हैं, और अभी तक कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यात्रा में शामिल नहीं हुई हैं, लेकिन बताते हैं कि वो 14 फरवरी को न्याय यात्रा में शामिल हो सकती हैं. राहुल गांधी ने 14 जनवरी को अपनी न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू की थी.

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यूपी में चंदौली के रास्ते 16 फरवरी को न्याय यात्रा दाखिल होगी, और अगले दिन यानी 17 फरवरी को राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव क्षेत्र वाराणसी पहुंचेंगे. शहर में 12 किलोमीटर की यात्रा के बाद राहुल गांधी भदोही रवाना हो जाएंगे. वाराणसी पहुंच कर वो काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करेंगे और लोगों को संबोधित भी करेंगे.
 
राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में लखनऊ से अलीगढ़ होते हुए आगरा तक जाएंगे, लेकिन पश्चिम यूपी में उसके आगे नहीं जाएंगे. बल्कि, आगरा से मध्य प्रदेश के लिए निकल जाएंगे. पश्चिम यूपी को स्किप करने की वजह जयंत चौधरी का पाला बदलकर एनडीए में चला माना जा रहा है, लेकिन ये बात भी आसानी से हजम नहीं हो रही है. पहले न्याय यात्रा 80 लोक सभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के 28 संसदीय क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली थी. न्याय यात्रा के रूट में पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी, रायबरेली, अमेठी, इलाहाबाद, फूलपुर और लखनऊ के अलावा चंदौली, जौनपुर, भदोही, प्रतापगढ़, हरदोई, सीतापुर, बरेली, मुरादाबाद, रामपुर, संबल, अमरोहा, अलीगढ, बदायूं, बुलंदशहर और आगरा जैसे इलाके शामिल थे, लेकिन अब ये बदल सकता है.

जब ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बावजूद राहुल गांधी ने यात्रा नहीं रोकी, जब नीतीश कुमार के INDIA ब्लॉक छोड़ कर चले जाने के बाद भी राहुल गांधी बिहार पहुंचे और यात्रा करते रहे्, तो जयंत चौधरी के साथ छोड़ देने से किस बात का सदमा लग रहा है. 

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वैसे भी जयंत चौधरी कोई ममता बनर्जी और नीतीश कुमार के कद के नेता तो हैं नहीं, पश्चिम यूपी के कुछ इलाकों में उनका प्रभाव जरूर है. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में कुछ सीटें जीत कर यूपी में तीसरे नंबर की पार्टी जरूर बने हैं, लेकिन वो भी तो किसी न किसी की मदद के मोहताज ही हैं. 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के दौरान अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को अपने हिस्से से लोक सभा सीटें दी थी, लेकिन आरएलडी का खाता भी नहीं खुल सका. राज्य सभा भी वो समाजवादी पार्टी की कृपा से ही पहुंच पाये थे. 

सूत्रों के हवाले से आ रहे अपडेट बताते हैं कि 20 मार्च की जगह भारत जोड़ो यात्रा का समापन 10 से 14 मार्च के बीच ही हो सकता है. 

जयंत चौधरी से बड़ा झटका तो अशोक चव्हाण ने दिया है

नजदीक होने के कारण भले ही न्याय यात्रा में कटौती के लपेटे में जयंत चौधरी आ जा रहे हों, लेकिन उनसे कहीं बड़ा दर्द तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे अशोक चव्हाण ने कांग्रेस छोड़ कर राहुल गांधी को दी है. अब राहुल गांधी ऐसे दर्द महसूस न करते हों, या दर्द की परवाह न करते हों या फिर दर्द को अंदर ही अंदर बर्दाश्त करते हों और ऊपर से जाहिर न होने देते हों तो बात और है. 

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अशोक चव्हाण से बड़ा दर्द तो ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे तमाम नेता दे चुके हैं, और राहुल गांधी अभी यात्रा लेकर उनके इलाके में भी जाने वाले हैं. ऐसे ही कांग्रेस छोड़ चुके कई नेता बीजेपी के टिकट पर राहुल गांधी के उम्मीदवारों को चैलेंज करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी कभी ऐसी बातों की परवाह नहीं करते. बल्कि ऐसे नेताओं को वो डरपोक नेता बताते रहे हैं. होता ये है कि वे डरपोक नेता ही कांग्रेस उम्मीदवारों को शिकस्त देकर विधानसभा और संसद पहुंच जाते हैं. 

कुछ दिन पहले यूपी कांग्रेस के नेता अजय राय के नेतृत्व में दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व से मिले थे. अजय राय ने यूपी में कांग्रेस की एक यात्रा भी निकाली थी, लेकिन राहुल गांधी या प्रियंका गांधी ने उस यात्रा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. जब न्याय यात्रा की घोषणा हुई और यूपी में सबसे ज्यादा वक्त दिये जाने की बात आई तो लगा, यूपी कांग्रेस की यात्रा को इसी वजह से अहमियत नहीं मिली होगी, लेकिन अब क्या समझें जब न्याय यात्रा को भी छोटा किया जा रहा है. 

यूपी कांग्रेस के नेताओं को राहुल गांधी तेलंगाना के नेताओं की मिसाल दे रहे थे. कह रहे थे तेलंगाना में कांग्रेस के एक से ज्यादा नेता मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते थे, और मेहनत की बदौलत उन्होंने खुद को साबित भी किया. राहुल गांधी के मुताबिक वैसे नेता उनको यूपी में नजर नहीं आये. 

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तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की ही तरह महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष भी राहुल गांधी के पसंदीदा नेताओं में शामिल हैं. नाना पटोले को लेकर जो राय महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं की है, तेलंगाना के पीसीसी चीफ रहते रेवंत रेड्डी को लेकर भी हुआ करती थी - तेलंगाना में तो सरकार बन गई, लेकिन महाराष्ट्र में उलटा असर नजर आ रहा है. 

सुनने में तो ये भी आ रहा है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के और भी नेता अशोक चव्हाण के दिखाये रास्ते पर चलने को तैयार हैं. और सर्वे में बीजेपी-शिंदे-पवार गठबंधन के पिछड़ने के बाद तो ये संभावना और भी बढ़ गई है.

राहुल गांधी अगर कांग्रेस पार्टी और चुनावी तैयारियों पर ध्यान देने के मकसद से न्याय यात्रा में कटौती कर रहे हैं तो बात और है, लेकिन न्याय यात्रा समय से पहले ही खत्म हो गई तो लोगों को न्याय कैसे मिलेगा, जिसे दिलाने का दावा राहुल गांधी के पांच-न्याय कार्यक्रम में किया जा रहा है? 

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