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कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन में प्रियंका गांधी की दिलचस्प गैरमौजूदगी, आखिर सवाल तो उठने ही थे

कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन के दौरान भविष्य की तमाम योजनाओं पर मुहर लगाई गई. पर इन महत्वपूर्ण फैसलों में गांधी परिवार का एक शख्स मौजूद नहीं था जिसकी मॉस अपील आज की तारीख में सबसे ज्यादा है. आखिर क्या कारण है जिसके चलते प्रियंका ने इस महत्वपूर्ण आयोजन से खुद को दूर कर लिया?

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राहुल गांधी और प्रियंका गांधी
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी

गुजरात में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन समाप्त हो चुका है. देश के कोने-कोने से कांग्रेसी इस अधिवेशन में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे . इस अधिवेशन में कांग्रेस के भविष्य से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर लगने वाली थी. सीडब्ल्यूसी की बैठक भी यहां होनी थी. जिसमें पार्टी में जल्द ही बड़े पैमाने पर संगठनात्मक फेरबदल करना, जिला कांग्रेस कमेटियों को मजबूत बनाने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाने पर भी चर्चा होनी थी. ये चर्चाएं हुईं कई महत्वपूर्ण फैसले भी हुए. सरदार वल्लभ भाई पटेल पर विशेष प्रस्ताव भी पारित किया गया. गुजरात विधानसभा को हर हाल में कैसे जीता जाए इस पर भी बातें हुईं. पर इन महत्वपूर्ण फैसलों में गांधी परिवार का एक शख्स मौजूद नहीं था जिसकी मॉस अपील आज की तारीख में सबसे ज्यादा है. अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत पूरा केंद्रीय नेतृत्व पहुंचा था. लेकिन पार्टी की महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी नदारद थीं. जाहिर है कांग्रेस के लिए यह सेटबैक था तो बीजेपी के लिए एक बढ़िया मसाला. 

बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय अपने एक्स हैंडल पर लिखते हैं कि 'गुजरात में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से प्रियंका वाड्रा की अनुपस्थिति को अनदेखा करना मुश्किल था - और यह गांधी भाई-बहनों के भीतर के मामलों के बारे में गंभीर सवाल उठाता है. यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने किसी प्रमुख पार्टी कार्यक्रम को छोड़ने का फैसला किया है. भारत जोड़ो यात्रा से उनकी स्पष्ट अनुपस्थिति ने भी अटकलों को जन्म दिया था, और अब, एक और हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम से उनके गायब होने से यह स्पष्ट है कि पर्दे के पीछे सब कुछ ठीक नहीं है.'

सवाल उठना लाजिमी भी है क्यों कि अभी हाल ही में वक्फ बिल पर वोटिंग के लिए पार्टी ने व्हिप जारी किया था इसके बावजूद प्रियंका संसद नहीं पहुंची. व्हिप से भी जरूरी यह था कि वक्फ बिल पर बहस के दौरान पूरे देश के अल्पसंख्यकों संदेश देना. पर प्रियंका गांधी ने इस गंभीर मुद्दे पर बोलने का मौका गंवा दिया. हालांकि वक्फ बिल पर बोलने से राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी बचे. पर ये दोनों वोटिंग के दौरान मौजूद रहे. पर ऐसा क्या रहा कि प्रियंका की झलक तक नहीं दिखी. ऐसा क्यों हुआ? क्या कांग्रेस में उनको महत्व नहीं मिल रहा है. क्या उन्हें साइडलाइन किया जा रहा है. सवाल तो कई उठ रहे हैं. क्योंकि वायनाड से सांसद चुने जाने के बाद यह कहा जा रहा था कि लोकसभा में राहुल गांधी अब अकेले नहीं पड़ेंगे. प्रियंका ने लोकसभा में पहुंचते ही हर दिन टीवी और अखबारों की हेडलाइन लूटनी शुरू कर दी. उनके बैग का रंग और उन पर छपी फोटो तक खबरें बनने लगीं और अचानक उन्होंने दिखना ही बंद कर दिया.

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इसके बाद गुजरात अधिवेशन के दौरान उनकी अनुपस्थिति ने पूरे देश का ध्यान खींचा. हालांकि पार्टी ने सफाई दी है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इस दौरान देश में नहीं थीं. पार्टी के संगठन महासचिव वेणुगोपाल ने बताया है कि प्रियंका गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष से अपनी अनुपस्थिति को लेकर पहले ही अनुमति ले ली थी. राजनीतिक गलियारों में उठ रही चर्चाओं को विराम देने के लिए पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि मंगलवार की बैठक में कुल 35 नेता शामिल नहीं हो सके और ऐसे में सिर्फ एक को लेकर सवाल उठाना ठीक नहीं है. कार्य समिति की बैठक में कुल 158 नेता शामिल हुए थे.

दरअसल जयराम रमेश शायद यह भूल रहे हैं कि प्रियंका गांधी उन 35 नेताओं की श्रेणी में शामिल नहीं हैं. दूसरी बात प्रियंका अगर बीमार नहीं हैं तो उन्हें विदेश जाने की बजाए गुजरात अधिवेशन को महत्व देना चाहिए था. अगर उन्होंने इसे महत्व नहीं दिया तो जाहिर है कि इसके पीछे कुछ कारण तो जरूर होंगे. आखिर राहुल गांधी अगर विदेश में अगर होते तो क्या गुजरात अधिवेशन की डेट टलती या विदेश यात्रा कैंसिल किया जाता. पर ऐसा प्रियंका के लिए क्या नहीं हो सकता था? 

टीवी पत्रकार बरखा दत्त के साथ बातचीत में मशहूर पत्रकार नीरजा चौधरी भी प्रियंका के गुजरात अधिवेशन के दौरान न दिखाई देने को शक की निगाह से देखती हैं. नीरजा कहती हैं कि प्रियंका गांधी जब लोकसभा की सदस्य बनीं हर दिन हेडलाइन क्रिएट करतीं थीं. इस तरह कांग्रेस अधिवेशन जैसे खास मौके पर उनके न दिखने से ऐसा लगता है कि जरूर कुछ न कुछ चल रहा है. 

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पत्रकार विनोद शर्मा कहते हैं कि प्रियंका को शुरू से ही परिवार में नजरअंदाज किया गया है. सभी जानते हैं कि प्रियंका अपनी बातों को जनता के सामने बेहतर तरीके से रखतीं हैं. उनमें जनता को इंदिरा गांधी वाली छवि दिखती है. फिर भी उन्हें लंबे समय तक संसद सदस्य बनने से रोका गया. कांग्रेस में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई. जबकि जब जब उन्हें मौका मिला उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया है. कभी कांग्रेस में प्रियंका के खासम खास रहे प्रमोद कृष्णम भी कहा करते थे कि पार्टी में प्रियंका को साइडलाइन करने की कोशिश होती है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जो टीम बनाई है उस पर भी आरोप लगे कि राहुल गांधी की छाप नजर आती है.सचिन पायलट समेत कई ऐसे लोग हैं जो राहुल गांधी के नजदीकी हैं जिन्हें इस बार कार्यसमिति में महत्व मिला है. भारतीय जनता पार्टी ने भी तब सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ 'अन्याय करने' का आरोप लगाया था. बीजेपी ने अपने एक्स (ट्विटर) हैंडल पर लिखा था कि, एक आम भाई-बहन जैसा नहीं है राहुल गांधी और प्रियंका का रिश्ता. प्रियंका राहुल से तेज़ हैं पर राहुल के इशारे पर ही पार्टी नाच रही है, सोनिया गांधी भी पूरी तरह राहुल के साथ हैं. घमंडिया गठबंधन की मीटिंग से प्रियंका का ग़ायब होना यूं ही नहीं है.

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 बीजेपी ने इसके साथ ही 5 मिनट 36 सैकेंड का वीडियो भी साझा किया था जिसे टीवी पर आने वाली ख़बरों के अंदाज़ में बनाया गया था.वीडियो में दावा किया गया था कि आखिर गांधी परिवार ने अब तक प्रियंका को चुनाव क्यों नहीं लड़ने दिया.बीजेपी ने प्रियंका गांधी के इंडिया गठबंधन के कार्यक्रमों से प्रियंका के न रहने पर भी सवाल उठाया था
  
हद तो तब हो गई जब पिछले साल संविधान पर लोकसभा में बहस हो रही थी. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बहस की शुरूआत की थी. स्पीच समाप्त होते ही प्रियंका गांधी को बोलना था. टीवी स्क्रीन पर सभी चैनल लगातार यह दिखा रहे थे कि बस थोड़ी ही देर में प्रियंका की स्पीच शुरू होने वाली है. प्रियंका भाषण शुरू होने वाला था कि ब्रेकिंग न्यूज चलने लगती है कि पुष्पा 2 एक्टर अल्लू अर्जुन को गिरफ्तार कर लिया गया है.

जाहिर है कि टीवी चैनलों के लिए प्रियंका की स्पीच से महत्वूर्ण था मेगा स्टार की गिरफ्तारी की खबर. जाहिर है कि उस दिन टीवी चैनलों पर दिन भर प्रियंका के भाषण की चर्चा होती पर उसकी जगह ले ली थी अल्लू अर्जुन की गिरफ्तारी की खबर.क्या ऐसा राहुल गांधी की स्पीच के साथ तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी करने की हिम्मत करते. रेड्डी चाहते तो अल्लू की गिरफ्तारी एक दो घंटे टाल भी सकते थे. ये किसी आतंकी की गिरफ्तारी नहीं थी.

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जाहिर है कि ये सब बातें इस ओर इशारा करती हैं कि कांग्रेस में किसी न किसी वजह से प्रियंका को वो तवज्जो नहीं मिलती है जो राहुल गांधी को मिलत है. जाहिर है कि संदेह के बादल तो उठेंगे ही.

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