पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कुछ सख्त कदम उठाया जरूर है, लेकिन वो अब भी नाकाफी लगता है.
और, अगर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई होती है, तो उससे भी बहुत कुछ नहीं होने वाला है. पाकिस्तान में थोड़ी दहशत तो है ही, तभी तो भारत की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक की सूरत में जवाब देने की बात कही है.
खबर है कि पाकिस्तान मिसाइल परीक्षण करने जा रहा है, जिसके लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है. सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण 24-25 अप्रैल को कराची तट पर किया जाएगा. भारत की जांच एजेंसियां घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं. और, खुफिया विभाग भी सतर्क है.
पाकिस्तान के खिलाफ जो कदम उठाये जायें, वे तब तक सख्ती से लागू किये जाने चाहिये जब तक वो आतंकवाद का समर्थन न देने के लिए मजबूर नहीं हो जाता - ये काम मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं है.
पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब जब भारत ने बड़ी और सख्त कार्रवाई की है. ऐसे समझिये कि भारत और पाकिस्तान के बीच तीन बड़े युद्ध हो चुके हैं, लेकिन ये फैसला पहली बार लिया गया है, और माना जा रहा है कि पाकिस्तान की चुनौतियां बढ़ जाएंगी.
पहलगाम हमले के बाद भारत ने कुछ कड़े कदम उठाये हैं
सीसीएस की बैठक में कहा गया कि पहलगाम हमले की साजिश रचने वालों के खिलाफ हर संभव कार्रवाई की जाएगी, और जैसे 26/11 के मुंबई हमले के लिए तहव्वुर राना को लाया गया वैसे ही पहलगाम हमले के किसी भी आतंकवादी को बख्शा नहीं जाएगा.
पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने पांच बड़े और सख्त कदम उठाया है, जिनमें सिंधु जल संधि और अटारी बॉर्डर से जुड़ा फैसला काफी महत्वपूर्ण है.
1. भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. ये तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का सपोर्ट बंद नहीं कर देता.
2. अटारी चेकपोस्ट को भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है. जो लोग वैध तरीके से भी भारत आये हैं, उन सभी को 1 मई, 2025 से पहले उसी रास्ते वापस जाना होगा.
निश्चित तौर पर भारत के ये कड़े कदम पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ाएंगे, लेकिन बात इतने भर से नहीं बनने वाली है. ये थोड़ा है, और ज्यादा की जरूरत है.
अरब मुल्कों से हर तरह का सपोर्ट रुकवाना होगा
ये अच्छी बात है कि सऊदी अरब और यूएई ने पहलगाम हमले की निंदा की है, और वे भारत के साथ खड़े हैं, लेकिन इतने भर से काम नहीं चलने वाला है.
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच बड़े मजबूत संबंध रहे हैं, लेकिन अब वो बात भी नहीं रही. लेकिन ये बात कितना मायने रखती है, ऐसे समझा जा सकता है कि अप्रैल, 2024 में जब शहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे तो पहला दौरा सऊदी अरब का ही किया था.
लेकिन 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म कर दिये जाने के बाद पाकिस्तान को अपना एजेंडा आगे बढ़ाने में सऊदी अरब और यूएई से अपेक्षित मदद नहीं मिल सकी. तब पाकिस्तान ने पूरी दुनिया में समर्थन जुटाने की कोशिश की, लेकिन दुनिया का सबसे ताकतवर मुस्लिम मुल्क सऊदी अरब बिल्कुल खामोश रहा.
तस्वीर का दूसरा पहलू ये भी है कि भारत सऊदी और यूएई से जो संबंध बन चुके हैं, पाकिस्तान को पहले जैसी अहमियत नहीं मिल रही है. खासकर, 2008 के मुंबई में हमले के बाद पाकिस्तान के प्रति सऊदी अरब और यूएई का नजरिया काफी बदल चुका है.
पहलगाम हमले के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीच में ही लौटना पड़ा. मोदी का दौरा छोटा होने के बावजूद भारत और सऊदी अरब के बीच चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं. ये समझौते स्पेस और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए हैं, और इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर पर भी दोनो देशों में सहमति बनी है.
सऊदी अरब के साथ पार्टनरशिप मजबूत होने की दिशा में काम होते रहना चाहिये, लेकिन अब भारत को ज्यादा जोर पाकिस्तान को मिलने वाले सपोर्ट और फंडिंग रुकवाने के लिए लगातार प्रयास करने चाहिये.
पाकिस्तान के सुधरने तक पूर्ण आर्थिक प्रतिबंध जरूरी
भारत के परमाणु परीक्षण के जवाब में मई, 1998 में जब पाकिस्तान भी परमाणु परीक्षण करना चाहता था, तब सऊदी अरब की मदद से ही हौसला बढ़ा था. तब सऊदी अरब ने पाकिस्तान को हर रोज मुफ्त में 50 हजार बैरल तेल देने का वादा किया था - और उसी की बदौलत तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों का मुकाबला भी कर पाये थे.
अक्टूबर, 2022 में पाकिस्तान को FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे-लिस्ट से हटा दिया गया था. बताते हैं कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उसने आतंकी फंडिंग रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए थे, लेकिन ये सिर्फ झांसा देने जैसा रहा - पहलगाम हमला ताजातरीन सबसे बड़ा सबूत है.
अरब मुल्कों में पाकिस्तान को अलग थलग करने की कोशिश तो होनी ही चाहिये, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये जायें, ये भी कोशिश होनी चाहिये - और ये आर्थिक प्रतिबंध तब तक लागू रहने चाहिये जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को सपोर्ट करना पूरी तरह बंद नहीं कर देता.