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लाडकी बहिण योजना, 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारा, RSS का मैनेजमेंट... प्रीति चौधरी ने बताए महायुति की रिकॉर्ड जीत के फैक्टर्स

Maharashtra Assembly Election Result 2024: महायुति एक बार फिर राज्य की सत्ता में वापसी कर रही है. जनता ने महायुति के तीनों दलों बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) पर भरोसा जताया. यही कारण है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन एमवीए 60 सीट भी नहीं पाती नजर आ रही है.

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महाराष्ट्र में महायुति को बड़ी जीत मिली है
महाराष्ट्र में महायुति को बड़ी जीत मिली है

Maharashtra Assembly Election Result 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों जारी हो चुके हैं. सभी आंकलनों पर लगाम लग चुकी है और महायुति एक बार फिर राज्य की सत्ता में वापसी कर रही है. वहीं महाविकास अघाड़ी को तगड़ा झटका इस चुनाव में लगा है. कारण, जनता ने महायुति के तीनों दलों बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) पर भरोसा जताया. यही कारण है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन एमवीए 60 सीट भी नहीं पाती नजर आ रही है. ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि आखिर क्या वो फैक्टर हैं, जिनसे महायुति को बंपर जीत मिली है.

1. लाडकी बहिण योजना की सफलता

महाराष्ट्र की महायुति सरकार चुनाव से पहले लाडकी बहिण योजना लेकर आई. महायुति के लिए ये दांव गेमचेंजर साबित हुआ. यह योजना खासतौर पर महिलाओं की पसंदीदा बनी और महिला वोटर्स के बीच बीजेपी पहली पसंद बन गई. यही कारण है कि 2019 के चुनाव के मुकाबले इस बार 53 लाख अधिक महिला वोटर्स ने वोट डाला. ये 2019 के चुनाव के मुकाबले 6 प्रतिशत अधिक है.

2. 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे से हिंदुओं को साधने का प्रयास

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'कटेंगे तो बंटेंगे' नारा महाराष्ट्र चुनाव में भी खूब गूंजा. ये नारा लिखे पोस्टर्स महाराष्ट्र की गलियों में खूब नजर आए. इसका उद्देश्य हिंदुओं को साधना था. इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र में चुनावी सभा करते हुए भी इस नारे को दोहराया. हालांकि नारे को लेकर महायुति में मतभेद भी नजर आए. अजित पवार से लेकर बीजेपी सांसद तक इससे किनारा करते दिखे.

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3. ओबीसी वोटों का एकीकरण और मराठा वोट का बिखराव

इस बार के चुनावों में महायुति ने ओबीसी वोटर्स को खूब साधा. 1990 के दशक से ही बीजेपी ओबीसी वोटों को एकजुट करने का काम कर रही है. बीजेपी ने माली, धनगर और वंजारी जैसे विभिन्न ओबीसी समुदायों को साधने का काम किया. वहीं मराठा वोटों में बिखराव का भी महायुति और बीजेपी को फायदा मिला. इसके पीछे का कारण चुनावों में एक और गठबंधन का आ जाना है. इसमें शामिल छोटे स्थानीय दलों ने मराठा वोटों को विभाजित करने का काम किया है.

4. RSS की लोकसभा चुनाव के नतीजों का नैरेटिव बदलने की कोशिश 

महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी और आरएसएस के बीच बेहतर तालमेल देखने को मिला. इसका लाभ भी महायुति को इस बार के चुनाव में मिला है. जानकारों का कहना है कि जिस तरह के इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए चौंकाने वाले रहे, उससे जो नैरेटिव सेट हुआ, उसको बदलने के लिए आरएसएस ने महाराष्ट्र में खूब काम किया.

5. विदर्भ क्षेत्र में महायुति को मिला बड़ा लाभ

बीजेपी ने राज्य में परंपरा से हटकर किसानों के लिए पूर्ण ऋण माफी का वादा किया है. इससे ये हुआ कि विदर्भ क्षेत्र में बीजेपी और महायुति को बड़ा फायदा हो गया. कारण, जहां महायुति करीब छह महीने पहले आम चुनावों में 10 लोकसभा सीटों में से आठ हार गई थी, वहां इस बार के चुनावों में बड़े पैमाने पर जीत हासिल की है.

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6. कोई सकारात्मक नैरेटिव सेट नहीं कर पाया विपक्ष 

महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी वोटर्स के सामने एकजुटता का संदेश देने में भी कामयाब नहीं हो सका है. पहले सीट शेयरिंग पर खींचतान और फिर पूरे चुनाव प्रचार में एकजुटता की कमी ने अलायंस को खासा नुकसान पहुंचाया. यह कहा जा सकता है कि MVA वोटर्स के सामने एकजुटता का विकल्प पेश करने के लिए संघर्ष करते देखी गई.

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