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कफ सिरप कांड के बाद नया नियम... फिनिश्ड दवाओं में DEG और EG टेस्ट अनिवार्य

कफ सिरप कांड ने पूरे देश में स्वास्थ्य सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए. इस गंभीर स्थिति के बाद एक बड़ा कदम उठाया गया है. अब फिनिश्ड प्रोडक्ट्स में DEG (Diethylene Glycol) और EG (Ethylene Glycol) की जांच अनिवार्य कर दी गई है. मध्य प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि इंडियन फार्माकोपिया के जनरल मोनोग्राफ में इन जांचों को शामिल किया जाए.

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फिनिश्ड दवाओं को लेकर अहम फैसला. (Photo: Representational)
फिनिश्ड दवाओं को लेकर अहम फैसला. (Photo: Representational)

जहरीले कफ सिरप के मामले ने देशभर में स्वास्थ्य सुरक्षा पर चेतावनी की घंटी बजा दी. अब इस गंभीर संकट को देखते हुए बड़ा और निर्णायक कदम उठाया गया है. फिनिश्ड प्रोडक्ट्स में DEG (Diethylene Glycol) और EG (Ethylene Glycol) की जांच अनिवार्य कर दी गई है. इस संबंध में मध्य प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर ने केंद्र सरकार को सिफारिश दी थी. इस फैसले से सुरक्षित और भरोसेमंद दवाएं मिलने का भरोसा भी मजबूत होगा.

DEG (Diethylene Glycol) और EG (Ethylene Glycol) की जांच का मतलब है दवाओं और सिरप में यह देखना कि ये जहरीले रसायन मौजूद तो नहीं हैं. इसलिए अब सरकार ने फैसला लिया कि हर फिनिश्ड प्रोडक्ट (तैयार दवा) और कच्चा माल में इसकी जांच जरूरी हो. यह जांच सेफ्टी चेक है.

बता दें कि 9 अक्टूबर को आजतक ने प्रमुखता से खबर दिखाई थी कि फिनिश्ड प्रोडक्ट्स में DEG (Diethylene Glycol) की जांच करने की वर्तमान में कोई अनिवार्यता नहीं है. एमपी के ड्रग कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इंडियन फार्माकोपिया के जनरल मोनोग्राफ में DEG और EG (Ethylene Glycol) की जांच को शामिल करने का सुझाव दिया था. उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम न केवल सुरक्षित दवा निर्माण सुनिश्चित करेगा, बल्कि भविष्य में ऐसे जहरीले मामलों को रोकने में मदद करेगा.

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दिनेश श्रीवास्तव के सुझाव पर संज्ञान लेते हुए भारत सरकार ने निर्णय लिया कि DEG और EG को रॉ मटेरियल और फिनिश्ड प्रोडक्ट्स दोनों में जांचने की अनिवार्यता बनाई जाए. यह कदम दवा निर्माण और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है.

यह भी पढ़ें: MP का हेल्थ सिस्टम ही बीमार, तो कफ सिरप केस की कैसे होगी जांच? देखें खबरदार

इस कदम से न केवल कफ सिरप जैसी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी, बल्कि आम जनता को सुरक्षित और भरोसेमंद दवाएं मिलेंगी. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की निगरानी और जांच से भविष्य में जहरीली दवाओं से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

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