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धीरेंद्र शास्त्री ने बलि प्रथा पर जताई आपत्ति, बकरीद पर होने वाली कुर्बानी को रोकने की मांग की

पंडित शास्त्री ने बलि प्रथा के खिलाफ अपनी राय रखते हुए कहा, 'हम किसी भी प्रकार से हो, बलि प्रथा के पक्ष में नहीं हैं. इस प्रकार हम बकरीद के भी पक्ष में नहीं हैं. हम किसी को जीवित नहीं कर सकते तो मारने का अधिकार भी किसी को नहीं है. उन्होंने कहा, 'हम सब सभ्य और सुशिक्षित हैं, इसलिए हमें लगता है कि जीव हिंसा को रोकना चाहिए. अहिंसा परमो धर्म के पर्याय पर चलना चाहिए.'

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पं. धीरेंद्र शास्त्री. (फाइल फोटो)
पं. धीरेंद्र शास्त्री. (फाइल फोटो)

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बकरा ईद के दौरान होने वाली बकरे की बलि पर अपनी कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जीव हिंसा किसी भी संप्रदाय, संस्कृति या मजहब में निश्चित रूप से निंदनीय है.

पंडित शास्त्री ने बलि प्रथा के खिलाफ अपनी राय रखते हुए कहा, 'हम किसी भी प्रकार से हो, बलि प्रथा के पक्ष में नहीं हैं. इस प्रकार हम बकरीद के भी पक्ष में नहीं हैं. हम किसी को जीवित नहीं कर सकते तो मारने का अधिकार भी किसी को नहीं है.'

उन्होंने स्वीकार किया कि सनातन धर्म में भी बलि प्रथा रही है, लेकिन उन्होंने दोनों पक्षों को स्वीकार करने की बात कही. हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि समय बदल गया है और अब उपचार और अन्य उपाय उपलब्ध हैं. 

उन्होंने कहा, 'हम सब सभ्य और सुशिक्षित हैं, इसलिए हमें लगता है कि जीव हिंसा को रोकना चाहिए. अहिंसा परमो धर्म के पर्याय पर चलना चाहिए.'

पंडित शास्त्री ने आगे कहा कि जीव हिंसा को रोकने से सभी मजहबों को तंदुरुस्ती मिलेगी और सबको जीने का अधिकार है– यह एक प्रण और प्रेरणा प्राप्त होगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंसा के बजाय शांति और अहिंसा के रास्ते पर चलना ही मानवता के लिए सही है.

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उनकी इस टिप्पणी से एक बार फिर जीव हिंसा और बलि प्रथा पर देशभर में बहस छिड़ गई है. कई धार्मिक और सामाजिक संगठन पंडित शास्त्री के विचारों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इस मुद्दे पर अलग-अलग राय रखते हैं.

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