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IAS संतोष वर्मा को पद से हटाया, बर्खास्तगी की भी तैयारी, MP सरकार का बड़ा एक्शन

MP सरकार ने तुरंत IAS अधिकारी को बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है, क्योंकि IAS अधिकारियों को बर्खास्त करने का अधिकार केंद्र के पास है.

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IAS संतोष वर्मा के रिटायरमेंट में बचे हैं 5 साल. (Photo: ITG/@RavishPal Singh)
IAS संतोष वर्मा के रिटायरमेंट में बचे हैं 5 साल. (Photo: ITG/@RavishPal Singh)

मध्य प्रदेश सरकार IAS अफसर और अजाक्स (AJAKS) के प्रदेश अध्यक्ष संतोष वर्मा के खिलाफ बड़ा एक्शन लेने जा रही है. अशोभनीय और विवादित बयानों के चलते IAS को नौकरी से बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है. मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है, जिसके बाद वर्मा को उनके पद से हटाकर बिना काम के GAD (सामान्य प्रशासन विभाग) में अटैच कर दिया गया है.

यह कार्रवाई IAS वर्मा के 23 नवंबर को भोपाल में AJAKS के स्टेट लेवल कन्वेंशन में यह कहने के बाद हुई है, "जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान नहीं कर देता और वह उससे रिश्ता नहीं बना लेता, तब तक उसे (बेटे को) रिजर्वेशन मिलना चाहिए."

उनके बयान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया, जिससे ब्राह्मण समुदाय में गुस्सा फैल गया. IAS वर्मा के बयान के बाद, न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही थी.

इसके अलावा, वर्मा की बातों से गुस्साए 65 ब्राह्मण संगठनों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन और 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री के घर का घेराव करने का ऐलान किया. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरे राज्य में बंद की तैयारी की जाएगी.

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SC-ST को सिविल जज नहीं बनने दे रहा हाईकोर्ट: वर्मा

इस बीच, वर्मा की एक और हालिया टिप्पणी ने आग में घी डालने का काम किया, जब उन्होंने एक इवेंट में कहा, "यह हाई कोर्ट ही है जो ST कैटेगरी के बच्चों को सिविल जज बनने से रोक रहा है... यह हाई कोर्ट ही है जिससे हम संविधान के पालन की गारंटी मांगते हैं."

उनके बयान का एक वीडियो सामने आने के बाद विवाद और बढ़ गया, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ गया.

CM मोहन यादव ने दिया सख्त एक्शन का निर्देश

इसके बाद, देर रात जारी एक ऑफिशियल बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संतोष वर्मा मामले का संज्ञान लिया है और GAD को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

इसमें कहा गया कि वर्मा ने राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रमोशन ऑर्डर में जालसाजी की थी, और उनके खिलाफ अलग-अलग कोर्ट में क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं. सरकार ने इसके तुरंत बाद यह प्रपोजल केंद्र सरकार को भेज दिया.

सरकार ने कहा कि जाली और मनगढ़ंत डॉक्यूमेंट्स के आधार पर इंटीग्रिटी सर्टिफिकेट लेने के आरोप में वर्मा के खिलाफ डिपार्टमेंटल जांच अपने आखिरी स्टेज में है और मौजूदा मामले में कारण बताओ नोटिस पर उनका जवाब संतोषजनक नहीं है.

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सरकार ने यह भी कहा कि वह लगातार गलत बयान दे रहे हैं और इसलिए उनके खिलाफ चार्जशीट जारी करने का फैसला लिया गया.

बता दें कि राज्य सरकार IAS अधिकारियों को सस्पेंड कर सकती है लेकिन उन्हें बर्खास्त नहीं कर सकती, क्योंकि यह पावर केंद्र सरकार के पास है, जो राष्ट्रपति के साइन करने के बाद लागू होती है.

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