मध्य प्रदेश में कुपोषण के खिलाफ जंग जारी है, लेकिन इस बीच विधानसभा में सरकार ने जो आंकड़े जारी किये हैं उसपर अब विपक्ष हमलावर है. विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया है कि कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों के पोषण के लिए सरकार के पास हैं 8 और 12 रुपए का प्रावधान है. कांग्रेस ने इस बजट को नाकाफी बताते हुए पूछा है कि ऐसे कैसे कुपोषण मिटेगा? वहीं सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार से कुपोषण के लिए ज्यादा फंड मांगा गया है.
मासूमों के शरीर में दिख रही हड्डियां
12 साल के कार्तिक को उसकी दादी हल्कीबाई अपने साथ लेकर अतिकुपोषित हालत में एनआरसी लेकर पहुंची है. कार्तिक की हालत का अंदाज़ा उसकी शरीर में दिख रही हड्डियों को देख कर आसानी से लगाया जा सकता है. भीखापुर गांव की आदिवासी बस्ती निवासी मोती आदिवासी के दो जुड़वा बच्चे गौरव और सौरव भी 6 माह के है, और गंभीर कुपोषित है,इन्हें भी पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा गया है.
कुपोषित बच्चों पर 8 और 12 रूपये और गाय पर 40 रुपये
इन बच्चों की हालत देखकर कोई अंदर तक हिल जाएगा. यह श्योपुर जिले के वो कुपोषित बच्चे हैं जिनकी चमड़ी शरीर की हड्डियों से चिपक चुकी है. हालत इतनी खराब कि इन्हे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है. लेकिन गंभीर रूप से कुपोषित इन बच्चों को पोषण देने पर सरकार 8 रूपये से लेकर 12 रूपये तक खर्च कर रही है. दरअसल, विधानसभा में कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया की कुपोषित बच्चों पर 8 रूपये प्रतिदिन और अति कुपोषित बच्चों को प्रतिदिन 12 रूपये प्रतिदिन खर्च किये जा रहे हैं.
हैरानी की बात यह है कि कुपोषित बच्चों पर 8 और 12 रूपये खर्च करने वाली सरकार गौशाला में गौमाता के लिए आहार के लिए विधानसभा में ₹40 प्रतिदिन की घोषणा कर चुकी है.
मध्य प्रदेश में एक गंभीर समस्या है कुपोषण
दरअसल मध्य प्रदेश में कुपोषण एक गंभीर और लगातार बढ़ती समस्या है.श्योपुर, धार, खरगोन, बड़वानी, छिंदवाड़ा और बालाघाट जैसे आदिवासी बहुल जिलों में हालात बेहद चिंताजनक हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक कई जिलों में हर चार में से एक बच्चा गंभीर रूप से कुपोषित है.
- प्रदेश में 1.36 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.
- 29,830 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं.
- 1.06 लाख बच्चे मध्यम रूप से कुपोषित हैं.
- कुपोषण की राष्ट्रीय औसत दर: 5.40%
- मध्यप्रदेश की दर: 7.79% (राष्ट्रीय औसत से अधिक)
- आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से दिया जा रहा पूरक पोषण आहार
- सामान्य बच्चों के लिए: ₹8 प्रतिदिन
- गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए: ₹12 प्रतिदिन
'केंद्र से मांगा गया है फंड'
मध्य प्रदेश सरकार की मंत्री खुद इस बात को स्वीकार कर रही हैं कि राशि कम है इसलिए केंद्र सरकार से ज्यादा राशि की मांग की है. सरकार के जवाब के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि कुपोषण के खिलाफ जंग क्या ऐसे सीमित बजट और प्राथमिकताओं के साथ जीती जा सकती है? क्या कुपोषण की लड़ाई में राज्य सरकार सिर्फ केंद्र सरकार के बजट के भरोसे है?