सुनो दुश्मन की खातिर जंग का ऐलान है वर्दी, हमारे मुल्क में इंसाफ की पहचान है वर्दी, किसी के वास्ते बेशक ये बस ये खादी का कपड़ा हो, हमारे वास्ते तो बस हमारी जान है वर्दी...दिल्ली पुलिस में कार्यरत मनीष मधुकर एक शानदार कवि भी हैं. वीर रस की अपनी कविताओं से उन्होंने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है. पुलवामा में आतंकी हमले के बाद जवानों के जज्बे को समर्पित उनकी यह कविता साहित्य आजतक के पाठकों के लिए
Suno Dushman ki khatir jung ka ailan hai vardi...a patriotic poem of Delhi Police poet officer Manish Madhukar