साहित्य आज तक 2025 के मंच पर भाषा और साहित्य की पहचान को लेकर एक महत्वपूर्ण विचार-विमर्श आयोजित किया गया. इस चर्चा में लेखक विकास झा, उर्मिला शिरीष और एसआर हरनोट ने भाग लिया. उन्होंने भाषाई और साहित्यिक विविधता, उसकी पहचान और समकालीन संदर्भों के बारे में अपने विचार साझा किए.