'फोबिया' ग्रीक शब्द Phobos से निकला है. फोबिया और डर, दोनों में अंतर है. डर एक इमोशनल रिस्पॉन्स है, जो किसी से धमकी मिलने या डांट पड़ने के कारण होता है. यह काफी कॉमन है और कोई बीमारी नहीं है. लेकिन फोबिया डर का एक खतरनाक लेवल है. फोबिया में डर इतना ज्यादा होता है कि इंसान इसे खत्म करने के लिए इंसान अपनी जान से भी खेल सकता है.
उदाहरण के लिए अगर आपको स्पाइडर फोबिया (arachnophobia) है, तो आप उसे भगाने के लिए स्पाइडर से भी लड़ सकते हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक, हर तरह के फोबिया में इलाज की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर कोई फोबिया आपके लाइफ पर नेगेटिव असर डाल रहा है, तो आप थेरेपी ले सकते हैं.
गुड़गांव के पारस हॉस्पिटल की डॉक्टर ज्योति कपूर का कहना है कि फोबिया इंसान की लाइफ के किसी भी स्टेज में शुरू हो सकता है. अक्सर इन्हें किसी डरावनी घटना और तनाव वाली परिस्थिति से जोड़ा जाता है.
डॉक्टर बवेजा का कहना है कि फोबिया जेनेटिक बीमारी है या नहीं, यह जानने के लिए अभी भी रिसर्च चल रही है. कुछ लोगों को जन्म से ही किसी चीज का फोबिया होता है, लेकिन इसके बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चला है.
डॉक्टर कपूर कहती हैं कि फोबिया में अपने डर की सोच भी व्यक्ति को इतना डरा देती है कि उस उत्तेजना से दिमाग और शरीर दोनों पर असर पड़ता है.
फोबिया के कुल मिलाकर 530 प्रकार होते हैं. लेकिन अब इनमें और भी इजाफा होता जा रहा है. कुछ सामान्य फोबिया के नाम यहां दिए जा रहे हैं...
Acrophobia- ज्यादा ऊंचाई वाली जगह में डर लगना.
Arachnophobia- छिपकली, मकड़ी जैसे छोटे-छोटे जीवों का डर.
Mysophobia- जर्म से डर.
Trypanophobia- इंजेक्शन से डर.
Cyanophobia- कुत्तों से डर.
Nyctophobia- अंधेरे से डर.
Aerophobia- उड़ान से डर.
Astraphobia- बिजली चमकने से डर.
क्या हैं लक्षण?
फोबिया को आप दो भागों में बांट सकते हैं' स्पेस्फिक फोबिया और सोशल फोबिया. जिन्हें फोबिया का दौरा पड़ता है, ऐसे लोगों में तनाव, बेचैनी, पसीने आना, परिस्थिति या लोगों से दूर भागना, सिर में भारीपन, कानों में अलग-अलग आवाजें सुनाई देना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, सांस तेज होना, डायरिया, चक्कर आना, शरीर में कहीं भी दर्द महसूस करना, पेट खराब हो जाना, ब्लड-प्रेशर बढ़ना या कम हो जाना जैसी दिक्कतें दिखाई देती हैं. ऐसे में रोगी बहुत ज्यादा पैनिक हो जाता है.
क्या है इलाज?
फोबिया के इलाज के लिए कोई एक खास ट्रीटमेंट नहीं होता है. हर मरीज का फोबिया और उसकी स्थिति अलग-अलग होती है. बीएलके हॉस्पिटल के डॉक्टर नीरज बताते हैं कि फोबिया के इलाज के के लिए मनोवैज्ञानिक थेरेपी और मेडिकेशन्स दोनों बेहद जरूरी हैं. Cognitive Behavioural therapy CBT इसके लिए अच्छा इलाज माना जाता है. जिसमें मरीज की सोच में बदलाव लाया जाता है. फोबिया के ट्रीटमेंट के लिए रोगी के थायरॉयड, ब्लड शुगर, डायबिटीज आदि की जांच करना भी जरूरी होता है.