शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क में उस नियंत्रण तंत्र की पहचान की है, जो संवेदी और भावनात्मक सूचनाओं का वहन करता है, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्य में 'निराशा' उत्पन्न होती है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर रॉबटरे मेलिनोव ने कहा, 'आधे भरे गिलास के आधा खाली वाले विचार का आधार मस्तिष्क में रासायनिक क्रियाएं हैं.'
उन्होंने कहा, 'शोध के दौरान हमने जो पाया है, वह मस्तिष्क की नकारात्मकता दर्शाने वाली संवेदनशीलता है.'
अवसादग्रस्त लोग अन्य लोगों की तुलना में नकारात्मक अनुभवों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. निष्कर्ष का उद्देश्य केवल अवसाद की वजह का पता करना नहीं, बल्कि उसका इलाज ढूंढना भी है.
अध्ययन के मुख्य लेखक स्टीवन शाबेल ने कहा, 'हमारे अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि मस्तिष्क मार्ग में किसी विचार के प्रति निषेध और उत्तेजना दोनों साथ-साथ रहती है.'
उन्होंने कहा, 'हमारा अध्ययन निषेध (निराशा) वाले सिग्नल पर केंद्रित था.' यह अध्ययन ऑनलाइन पत्रिका 'साइंस' में प्रकाशित हुआ है.