
Obesity: मोटापा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें किसी व्यक्ति के शरीर में फैट या चर्बी की मात्रा काफी अधिक बढ़ जाती है. मोटापे का कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल, गलत खान-पान, अधिक मात्रा में खाना, जंक फूड, फास्ट फूड, नींद न लेना, तनाव लेना, फिजिकल एक्टिविटी न करना, आनुवांशिक आदि हो सकते हैं. अगर हम अपने आसपास भी देखते हैं तो हर 10 में से कम से कम 4-5 लोग वजन बढ़ने की समस्या से परेशान होंगे. किसी भी ओवरवेट व्यक्ति को कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. दरअसल, जब शरीर में अधिक मात्रा में फैट या चर्बी स्टोर होने लगती है, तो वह हड्डियों और बाकी के अंगों पर दबाव डालने लगती है. साथ ही साथ, यह हार्मोन और मेटाबॉलिज्म को भी बदल सकती है, जो कि शरीर के लिए नुकसानदायक होता है.
मोटापे से पीड़ित लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 30 या इससे अधिक होता है. ऑनलाइन कैलकुलेटर से कोई भी अपना बीएमआई पता कर सकते हैं. इसके लिए केवल लंबाई और वजन की जरूरत होती है. एक्सपर्ट के मुताबिक, मोटापे वाले लोगों को निम्न बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes)

जब ब्लज ग्लूकोज या रक्त शर्करा बहुत अधिक हो जाती है, तब टाइप 2 डायबिटीज होती है. टाइप 2 डायबिटीज वाले 10 में से लगभग 8 लोग अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त हैं. समय के साथ-साथ हाई ब्लड शुगर हार्ट डिसीज, स्ट्रोक, किडनी की बीमारी, आंखों की समस्या और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है. टाइप 2 डायबिटीज होने के खतरे को कम करने के लिए आपके शरीर के कुल वजन का 5 से 7 प्रतिशत कम करने और रोजाना एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है.
हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
मोटे लोगों को अक्सर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है. हाई ब्लड प्रेशर, जिसे हाइपरटेंशन भी कहा जाता है, यह वह स्थिति होती है, जिसमें खून रक्त वाहिकाओं में सामान्य से अधिक तेजी के साथ बहने लगता है. हाई ब्लड प्रेशर हार्ट पर प्रेशर डालता है, जिससे रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है, दिल का दौरा, स्ट्रोक, किडनी की बीमारी और मृत्यु का खतरा भी बढ़ सकता है.
दिल की बीमारी (Heart disease)
मोटापे से हार्ट रोग का खतरा बढ़ जाता है और वहीं इससे दिल का दौरा, हार्ट फेल, या असामान्य हार्ट रिदम जैसी समस्याएं हो सकती हैं. हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड फैट का असमान्य लेवल और हाई ब्लड शुगर हार्ट डिसीज का जोखिम बढ़ा सकते हैं. ऐसे में अपने शरीर के कुल वजन का 5 से 10 प्रतिशत कम करने से हृदय रोग के विकास का जोखिम कम किया जा सकता है. यानी यदि आपका वजन लगभग 80 किलो है, तो आपको 8-16 किलो वजन कम करना चाहिए. जिससे से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड फ्लो में सुधार हो सकता है.
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)

ऑस्टियोआर्थराइटिस काफी कॉमन और लंबे समय तक चलने वाली समस्या है, जो जोड़ों में दर्द, सूजन का कारण बनती है. अधिक वजन होने या मोटापा होने से जोड़ों और कार्टिलेज पर अतिरिक्त दबाव आता है, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ सकता है.
मेटाबोलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome)
मोटे लोगों को मेटाबोलिक सिंड्रोम के कारण कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, जो हृदय रोग, मधुमेह और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा सकता है.
फैटी लीवर रोग ऐसी स्थिति है, जिसमें लीवर में फैट का निर्माण होने लगता है. फैटी लीवर से लीवर खराब हो सकता है, सिरोसिस हो सकता है या लीवर फेल भी हो सकता है.
किडनी की बीमारी (Kidney disease)
किडनी की बीमारी का आसान सा मतलब होता है कि आपकी किडनी खराब हो चुकी है और किडनी अब खून को उस तरह से फिल्टर नहीं कर सकती, जैसा उन्हें करना चाहिए. मोटापा डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के खतरे को बढ़ाता है, जो किडनी की बीमारी का सबसे आम कारण है. यहां तक कि अगर आपको डायबिटीज और ब्लड प्रेशर नहीं है, तो भी मोटापा ही किडनी की बीमारी को बढ़ावा दे सकता है.