विजयदशमी का त्योहार काफी महत्व रखता है. नौ दिन की नवरात्रि खत्म होने पर दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. इस दिन रावण का पुतला जलाकर अच्छाई पर बुराई की जीत का जश्न मनाया जाता है. जगह-जगह मेले लगे होते हैं, शहरों में दशहरा की अलग धूम नजर आती है. इस दिन लोग सुबह-सुबह फाफड़ा और जलेबी का नाश्ता करते हैं. हलवाई की दुकान से लेकर घरों तक में फाफड़ा और जलेबी की खुशबू आ रही होती है. इसी कारण जलेबी और फाफड़ा की बिकरी भी आसमान छू लेती है.
महंगे हुए फाफड़ा और जलेबी
फाफड़ा और जलेबी गुजरात की मशहूर डिश हैं. विजयदशमी पर यहां की बात करें तो लाखों रुपये के फाफड़ा और जलेबी गुजरात में खाए जाते हैं. पिछले साल के मुकाबले इस साल फाफड़ा और जलेबी प्रति किलो 50 रुपये महंगे हुए हैं. इस साल फाफड़ा की कीमत प्रति किलो 650 और जलेबी 800 रुपये प्रति किलो की कीमत से बिक रही है.
दशहरे के दिन गुजरात में जिस मात्रा में फाफड़ा और जलेबी खाई जाती है, उसे ध्यान में रखते हुए दुकानदारों द्वारा अगली रात से ही एक्स्ट्रा हलवाई लगाकर दुकानों में तैयारी शुरू कर दी जाती हैं. दशहरे के दिन सुबह से ही दुकानों पर फाफड़ा जलेबी खरीदने के लिए लंबी लाइन दिखाई पड़ती है.
मिलावट से बचने क लिए किए गए सैंपल टेस्ट
फाफड़ा जलेबी में किसी प्रकार की मिलावट ना हो इसके लिए अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में फूड विभाग की टीम द्वारा विशेष निगरानी रखी गई है. अहमदाबाद में अबतक 12 टीमों द्वारा शहर के 102 जगह से फाफड़ा जलेबी के सैंपल लिए गए हैं. फाफड़ा जिस तेल में तला जाता है, उसकी भी जांच हो रही है. म्युनिसिपल कॉरपोरेशन द्वारा 41 जगह से सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजे गए हैं.
यह रिपोर्ट लगभग 10 दिन के बाद सामने आएगी. तब तक करोड़ों के फाफड़ा जलेबी गुजराती खा चुके होंगे. फाफड़ा जलेबी की गुणवत्ता की जांच की जा रही है. तेल की गुणवत्ता और चने के आटे की भी जांच की जा रही है. 41 जगह पर गुणवत्ता को लेकर शंका होने के बाद सैंपल लेकर लेबोरेटरी में भेजे गए हैं.