हम अक्सर भागदौड़ भरी जिंदगी में अपनी सेहत का ध्यान रखना भूल जाते हैं. मामला जब दिल से जुड़ी बीमारियों का हो तो अधिक सावधानी बरतना जरूरी हो जाता है.
एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि रोजाना एक गिलास चुंकदर का जूस पीने से दिल संबंधी बीमारियों में लाभ मिलता है.
स्टडी कहती है कि रोजाना एक गिलास चुकंदर का जूस पीने से रक्त वाहिकाओं में होने वाली सूजन कम हो जाती है. दरअसल रक्त वाहिकाओं में सूजन अमूमन ह्रदय संबंधी समस्याओं से ग्रसित लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है. इसकी वजह से दिल का दौरा भी पड़ता है.
रोजाना चुकंदर का जूस पीने से कोरोनरी हार्ट डिसीज जैसे ह्रदय संबंधी रोगों का खतरा घटता है. यह सबसे आम तरह की दिल संबंधी बीमारी है. इसमें दिल की धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं और दिल काम करना बंद कर देता है. दिल का दौरा पड़ने का यह सबसे आम कारण है.
इससे बड़े पैमाने पर दुनियाभर में महिलाओं और पुरुषों की मौत होती है.
शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड कम होने से खतरा
जिन लोगों के शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड का स्तर कम होता है, उनमें कोरोनरी हार्ट डिसीज का खतरा बढ़ जाता है. शरीर प्राकृतिक रूप से नाइट्रिक ऑक्साइड प्रॉड्यूस करता है और यह स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी है. यह ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करने के अलावा रक्त वाहिकाओं (blood Vessels) में सूजन को भी नियंत्रित करता है.
इस रिसर्च की अगुवाई करने वाले लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के क्लिनिकल रिसर्च फेलो डॉ. असद शब्बीर ने कहा, शरीर को चोट और इंफेक्शन से बचाने के लिए सूजन जरूरी है.
उन्होंने कहा, हालांकि, कोरोनरी हार्ट डिसीज वाले लोगों में लगातार सूजन से नुकसान हो सकता है. इससे दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है.
उन्होंने कहा, हमारी रिसर्च से पता चला है कि रोजाना चुकंदर का जूस पीने से हमारे शरीर को इनऑर्गेनिक नाइट्रेट मिलता है, जिससे शरीर को मदद मिलती है.
114 लोगों पर की गई रिसर्च
रिसर्च करने वाली टीम ने 114 लोगों पर यह रिसर्च की. इनमें से 78 लोगों को उनकी रक्त वाहिकाओं में सूजन बढ़ाने के लिए टायफाइड की वैक्सीन दी गई. वहीं, 36 लोगों को एक सामान्य क्रीम दी गई, जो उनके शरीर पर छोटे-छोटे छाले बनाए और सूजन पैदा करें.
इन लोगों का लगातार सात दिनों तक हर सुबह 140 एमएल चुकंदर का जूस पीने के लिए दिया गया. इनमें से आधे लोगों को चुकंदर का जो जूस दिया गया, उसमें नाइट्रेट की मात्रा अधिक थी जबकि बाकी के जूस में नाइट्रेट नहीं था.
जिस समूह को टायफाइड का टीका दिया गया था, नाइट्रेट से भरा जूस पीने पर उनके खून, यूरीन और थूक में नाइट्रिक ऑक्साइड का स्तर बढ़ा पाया गया जबकि बाकी के साथ ऐसा नहीं था.