बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन से शुरू हुई विपक्ष और सत्तापक्ष की रार बढ़ती ही जा रही है. सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवाई कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी ने नागरिकता मिलने से पहले ही वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वा लिया था.
सोनिया गांधी का नाम नागरिकता मिलने से पहले वोटर लिस्ट में जुड़वाए जाने का मामला अब कोर्ट पहुंच गया है. राउज एवेन्यू कोर्ट में याचिका दाखिल कर यह मांग की गई है कि नागरिकता मिले बिना वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के आरोप में सोनिया गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की जाए.
याचिका विकास त्रिपाठी नाम के व्यक्ति ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता 30 अप्रैल 1983 को मिली, लेकिन उनका नाम इसके तीन साल पहले 1980 में ही दिल्ली की वोटर लिस्ट में शामिल था. याचिका में यह सवाल उठाया गया है कि 1980 में नई दिल्ली लोकसभा की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम कैसे शामिल था.
यह भी पढ़ें: 'भारतीय नागरिक बनने से पहले सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट में था', बीजेपी का बड़ा आरोप
याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि 1982 में आपत्ति याचिका दाखिल होने के बाद सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया. याचिकाकर्ता ने यह भी सवाल उठाया है कि सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट से आखिर क्यों हटाया गया? नाम डिलीट करने की दो वजह हो सकती है. संबंधित वोटर ने या तो विदेश की नागरिकता ले ली हो या वह देश के दूसरे क्षेत्र में चला गया हो.
यह भी पढ़ें: अब पवन खेड़ा की पत्नी के दो वोटर आईडी पर अमित मालवीय ने घेरा
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में यह भी कहा कि सोनिया गांधी ने जब 1983 में नागरिकता हासिल की, तो किन दस्तावेजों के आधार पर उनका नाम साल 1980 की वोटर लिस्ट मे शामिल कराया गया? क्या फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया? याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग भी की है कि दिल्ली पुलिस मुकदमा दर्ज कर इस मामले की जांच करे और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे.