scorecardresearch
 

जातीय जनगणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, पटना हाईकोर्ट की रोक को बिहार सरकार ने दी चुनौती

बिहार में जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने 3 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी थी. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

बिहार सरकार ने सूबे में जातीय जनगणना कराने का आदेश दिया था. बिहार में जातीय जनगणा शुरू भी हो गई थी कि पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. जातीय जनगणना पर अंतरिम रोक लगाने के पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बिहार सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है.

बिहार सरकार की ओर से अधिवक्ता मनीष सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. ये पहला मौका नहीं है जब बिहार में जाति आधारित गणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हो. ये मामला इस साल की शुरुआत में भी यानी जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. तब जाति आधारित गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दायर हुई थी.

जाति आधारित गणना के बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने सुनवाई की थी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने तब याचिका पर ये कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं को पटना हाईकोर्ट जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई से इनकार करने के बाद याचिकाकर्ताओं ने पटना हाईकोर्ट का रुख किया था. पटना हाईकोर्ट से याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत मिली लेकिन कोर्ट ने इस पर तुरंत सुनवाई और कोई फैसला लेने से इनकार कर दिया था. बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट से याचिका के जल्द निस्तारण की अपील की थी.

Advertisement

हाईकोर्ट ने 3 जुलाई तक लगाई है रोक

पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने 4 मई को ये आदेश दिया था कि सर्वेक्षण वास्तव में एक जनगणना है. इसे केवल केंद्र सरकार की ओर से ही कराया जा सकता है. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की अगुवाई वाली बेंच ने बिहार सरकार की ओर से कराए जा रहे जाति आधारित सर्वे पर 3 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी थी.

डेटा संग्रह पर भी लगी है रोक

पटना हाईकोर्ट ने बाद में ये भी साफ किया था कि रोक केवल जनगणना पर नहीं, बल्कि आगे के डेटा संग्रह के साथ-साथ राजनीतिक दलों के साथ सूचना साझा करने पर भी है. बिहार सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार की ओर से दायर अपील में सर्वे शुरू होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

बिहार सरकार की ये है दलील

बिहार सरकार की ओर से कहा गया है कि हाईकोर्ट ने सरकार के इस तर्क को अलग तरीके से स्वीकार कर लिया कि सर्वेक्षण एक जनगणना था. बिहार सरकार की ओर से ये भी तर्क दिया गया है कि गांव, प्रखंड, जिला या राज्य स्तर पर आंकड़ों का संग्रह किसी भी सूरत में डेटा संग्रह अधिनियम के तहत जनगणना की परिभाषा में नहीं आता. लिहाजा हाईकोर्ट के इस आदेश को स्टे किया जाए.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement