बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे के 33 साल के शख्स को जमानत दी है, जिस पर अपने साथियों के साथ मिलकर तीन नाबालिग लड़कों का यौन उत्पीड़न कर उनका वीडियो बनाने का भी आरोप लगा था. उच्च न्यायालय ने कहा कि कोई यौन इरादा नहीं था, केवल पीड़ितों को शारीरिक और मानसिक यातना दी गई थी क्योंकि आरोपियों को लगा कि लड़के चोर हैं. आरोपियों के खिलाफ 377 यानी अप्राकृतिक अपराध समेत कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था.
न्यायमूर्ति अनिल किलोर की पीठ एक कपिल टाक की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे 2021 में भारतीय दंड संहिता के अप्राकृतिक अपराध, हमले और आपराधिक धमकी के आरोप और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) के तहत यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इनके खिलाफ पुणे के पिंपरी थाने में केस दर्ज किया गया था.
यौन उत्पीड़न के आरोपी को मिली जमानत
आरोपी कपिल टाक पर अन्य लोगों के साथ तीन किशोर लड़कों को निर्वस्त्र कर उन्हें चमड़े की बेल्ट पीटने के अलावा उनकी गुदा में उंगलियां डालने और उनके निजी अंगों पर झंडू बाम लगाने का आरोप था. कपिल टाक की वकील सना रईस खान ने तर्क दिया कि POCSO के प्रावधान इस मामले में लागू नहीं होंगे क्योंकि कोई यौन इरादा नहीं था. उन्होंने आगे तर्क दिया कि टाक 2021 से जेल में बंद है और मामले में आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है.
आरोपियों के खिलाफ 2021 में दर्ज हुआ था केस
नाबालिग पीड़ितों में से एक की मां ने अप्रैल 2021 में केस दर्ज कराया था. पीड़ित की मां ने कुछ लोगों को वीडियो देखते हुए देखा था. जहां कुछ नाबालिग लड़कों के साथ मारपीट जा रहा है और उनके प्राइवेट पार्ट के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा था. पीड़िता की शिकायत के बाद पुलिस ने मौके का एक सीसीटीवी बरामद किया था. जिसके बाद आरोपियों को पॉस्को एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था.