महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के बढ़ते मामलों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट अब सख्त हो गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कुपोषित बच्चों और महिलाओं की स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से छह हफ्ते में योजनाओं का ब्यौरा मांगा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ये भी पूछा है कि बच्चों और महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार क्या कर रही है? इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार से छह हफ्ते में उन योजनाओं का ब्यौरा देने के लिए भी कहा है जो महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार की ओर से चलाई जा रही हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ये भी पूछा है कि क्या सरकार महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए चलाई जा रही योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू कर पा रही है? कोर्ट ने कहा है कि मानव संसाधन की कमी समेत कई कारण हैं. कोर्ट ने इसे लेकर सख्त रुख दिखाते हुए ये भी कहा है कि बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य का जिम्मा सरकार का है.
कोर्ट ने यूपी सरकार के महिला कल्याण और बाल विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अधिवक्ता मोतीलाल यादव की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की. लखनऊ बेंच के जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई की.
अधिवक्ता मोतीलाल यादव की ओर से दाखिल जनहित याचिका में राज्य सरकार की ओर से कुपोषित महिलाओं और बच्चों पर सही तरीके से ध्यान नहीं दिए जाने का दावा करते हुए इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है. जनहित याचिका में ये भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में कुपोषित महिलाओं और बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.