हम जब हंसते-मुस्कुराते और खुश रहते हैं तो हमारा तनाव दूर होता है जो अच्छी सेहत के लिए जरूरी भी है. मेडिकल साइंस के अनुसार, हंसी हमारे शरीर में मेलाटोनिन नामक हार्मोन रिलीज करती है, जिससे सुकून की नींद आती है. इसलिए जरूरी है कि हम हंसते-मुस्कुराते रहें. हम आपको हंसाने के लिए लाए हैं मजेदार चुटकुले. तो चलिए शुरू करते हैं हंसने-हंसाने का सिलसिला.
> बॉस के जोक पर पूरी टीम हंसने लगी लेकिन टीटू नहीं हंसा.
बॉस- तुम्हें मेरा जोक समझ में नहीं आया क्या?
टीटू- सर, मेरा दूसरी कंपनी में सेलेक्शन हो गया है.
बॉस को हुई हैरानी!
> शौंटी- समोसे को खोलकर अंदर का मसाला ही खा रहा था.
संजू- अरे! तू पूरा समोसा क्यों नहीं खा रहा?
शौंटी- अरे मैं बीमार हूं न... इसलिए डॉक्टर ने बाहर की चीज खाने से मना किया है.
> टीचर स्टूडेंट से- ये बताओ कि नदी में नींबू का पेड़ लगा है तो उसे कैसे तोड़ोगे?
स्टूडेंट- चिड़िया बनकर.
टीचर- तुम्हें चिड़िया कौन बनाएगा?
स्टूडेंट- जो नदी में नींबू का पेड़ लगाएगा.
> मंटू- यार, लड़कियों का ही अच्छा है. शादी से पहले पापा की परी होती हैं...और शादी के बाद घर की लक्ष्मी हो जाती हैं.
चंटू- ...और लड़के?
मंटू- लड़कों का क्या, शादी से पहले पापा से मार खाते हैं और शादी के बाद बीवी से!
> प्रेमिका (प्रेमी से)- अरे बाबा, जल्दी खिड़की से कूदो पापा आ रहे हैं.
प्रेमी- लेकिन यह तो 13वीं मंजिल है.
प्रेमिका- अरे, यह शगुन-अपशगुन सोचने का वक्त नहीं है.
प्रेमी के उड़ गए होश!
> पिताजी- बेटा, जरा मेरे जूते लाना.
बेटा- पिताजी, जूता एक लाना है या दोनों?
पिताजी- पहले तो दोनों की जरूरत थी, अब तो तू एक ही लेकर आ.
(डिस्क्लेमरः इस सेक्शन के लिए चुटकुले वॉट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर हो रहे पॉपुलर कंटेंट से लिए गए हैं. इनका मकसद सिर्फ लोगों को थोड़ा गुदगुदाना है. किसी जाति, धर्म, मत, नस्ल, रंग या लिंग के आधार पर किसी का उपहास उड़ाना, उसे नीचा दिखाना या उसपर टीका-टिप्पणी करना हमारा उद्देश्य कतई नहीं है.)