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रोटी होगी महंगी, गेहूं की पैदावार में गिरावट

महंगाई की मार झेल रहे लोगों को अब रोटी और रुलाएगी. मौसम के बदले मिजाज से गेहूं की पैदावार में 15 प्रतिशत तक गिरावट ने रोटी के और महंगा होने का संकेत दे दिया है.

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महंगाई की मार झेल रहे लोगों को अब रोटी और रुलाएगी. मौसम के बदले मिजाज से गेहूं की पैदावार में 15 फीसदी तक गिरावट ने रोटी के और महंगा होने का संकेत दे दिया है.

गेहूं की किल्लत व खुले बाजार में दाम अधिक होने के कारण सरकारी क्रय केंद्र सूने पड़े है. लगातार दो वर्ष से गेहूं उत्पादन में आ रही गिरावट से कृषि विभाग भी हैरान है. वैज्ञानिक डा.एपी सिंह का कहना है कि गेहूं उत्पादन गिरने की समस्या केवल यूपी की नहीं है, पड़ोसी हरियाणा व पंजाब में भी मौसम की मार से फसल खराब हुई.

वहां छह से दस प्रतिशत तक गेहूं उत्पादन कम हुआ. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी जनवरी से फसल कटाई तक वर्षा ज्यादा होने व तापमान में गिरावट से दाना अपेक्षाकृत छोटा और पतला रह गया, जिससे प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम से दो क्विंटल तक गेहूं कम पैदा हुआ. पूर्वाचल में औसतन 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार रही.

गेहूं व अन्य खाद्यान्न फसलों की उत्पादकता में लगातार गिरावट भी चिंताजनक है. वर्ष 2011-12 के उत्पादकता औसत 29.47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर को अब तक नहीं दोहराया जा सका. इस बार रबी सीजन की शुरुआत से ही मौसम ने साथ नहीं दिया और औसत उत्पादन लक्ष्य घटाकर 36 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कर देने के बावजूद पूरा नहीं किया जा सका. उत्पादकता व उत्पादन बढ़ाने की योजना परवान न चढऩे से किसानों को गेहूं का अधिक दाम मिलने की उम्मीद बढ़ी है.

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किसान श्यामवीर सिंह कहते हैं, सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य 1400 रुपये प्रति क्विंटल काफी कम है. खुले बाजार में 15 सौ रुपये प्रति क्विंटल आसानी से मिल रहा है. ऐसे में सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचना घाटे का सौदा है. वहीं खाद्यान्न का कारोबार करने वाले सुरेश गुप्‍ता का मानना है कि गेहूं की फसल कमजोर रहने से इस बार ऑफ सीजन में दाम चढ़ने की आस है.

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