चावल के उत्पादन में विश्व कीर्तिमान बनाने वाला बिहार अब गेंहूं में भी अव्वल राज्य बनने की राह पर है. भारत में हरित क्रांति के जनक, नॉर्मन बोरलॉग के सहयोगी संजय राजाराम ने कहा, ‘चावल में अव्वल बनने के बाद अब बिहार गेंहू के उत्पादन में भी पंजाब को पीछे छोड़ सकता है.’
400 से भी अधिक अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित कर चुके और 400 से अधिक वैज्ञानिक पुस्तकों के लेखक एवं सह लेखक संजय राजाराम ने कहा, ‘यदि बिहार की मिट्टी की हालत और जल संसाधन की व्यवस्था संतोषजनक रहती है, तो जल्द ही पंजाब की तुलना में यह बेहतर गेंहू उत्पादन कर सकता है.’ राजाराम भागलपुर जिले के साबौर में स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे.
पिछले साल नालंदा जिले के एक किसान ने जैविक गेंहू के उत्पादन में राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया था.
पटना से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नालंदा के सरिलछाक गांव के किसान सुरेंद्र प्रसाद ने एसआरआई (चावल गहनता सिस्टम) जैविक विधि द्वारा प्रति हेक्टेयर 135.75 क्विंटल गेंहू पैदा किया था. इसे केंद्रीय कृषि मंत्रालय और राज्य सरकार द्वारा प्रमाणित भी किया गया है.
राज्य के एक अन्य किसान ने 2011 में इसी जैविक विधि से प्रति हेक्टेयर 224 क्विंटल धान का उत्पादन किया था, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने प्रमाणित किया था. चीन के प्रमुख चावल वैज्ञानिक युआन लोंगपिंग ने इस किसान के दावे पर प्रश्न खड़ा किया. लेकिन किसान ने पिछले महीने युआन को इस मुद्दे पर चुनौती दे डाली.
नालंदा स्थित दरवेशपुर के किसान सुमंत कुमार ने कहा, ‘मैं युआन को चुनौती देता हूं कि मेरे विश्व कीर्तिमान को 120 प्रतिशत झूठा कहने से पहले वह मेरे गांव आकर तथ्यों की पुष्टि कर लें.’
गौरतलब है कि साल 2011 में सुमंत ने युआन के विश्व कीर्तिमान, प्रति हेक्टेयर 190 क्विंटल धान की पैदावार को मात देकर प्रति हेक्टेयर 224 क्विंटल धान पैदा किया था.