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पंडित छन्नूलाल ने CM योगी से मिलने के लिए मांगा समय, बेटी की मौत मामले में इंसाफ की गुहार

पंडित छन्नूलाल मिश्र ने बताया सीएम योगी के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलकर अपनी बात रखेंगे. पंडित छन्नूलाल मिश्र से मिलने पहुंचे एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने भी शासन प्रशासन के ऊपर आरोप लगाते हुए विधान परिषद में सवाल उठाने की बात कही है.

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पंडित छन्नूलाल मिश्र ने सीएम योगी को पत्र लिखा है. (फाइल फोटो)
पंडित छन्नूलाल मिश्र ने सीएम योगी को पत्र लिखा है. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना के चलते हुए छन्नूलाल की बेटी की मौत
  • अस्पताल को क्लीन चिट मिलने से नाराज
  • अस्पताल पर लापरवाही का आरोप

पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र ने कोरोना संक्रमित अपनी बड़ी बेटी की एक निजी अस्पताल में मौत के मामले में जांच कमेटी की ओर से अस्पताल को मिली क्लीन चिट के खिलाफ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलेंगे. उन्होंने  सीएम योगी से मिलने का समय मांगा है.

पंडित छन्नूलाल मिश्र ने सीएम योगी को पत्र लिखा है. मिश्र ने मेल के जरिए सीएम योगी को पत्र भेजा है. पंडित छन्नूलाल मिश्र ने बताया सीएम योगी के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलकर अपनी बात रखेंगे. पंडित छन्नूलाल मिश्र से मिलने पहुंचे एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने भी शासन प्रशासन के ऊपर आरोप लगाते हुए विधान परिषद में सवाल उठाने की बात कही है.

छ्न्नूलाल मिश्र बोले हम रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं

पंडित छन्नूलाल ने बताया कि रिपोर्ट 3-4 दिनों में ही मिल जानी चाहिए थी लेकिन 22 दिनों के बाद मिली है. जिससे हम संतुष्ट नहीं हैं. क्योंकि कहा गया था कि निष्पक्ष फैसला होगा, लेकिन जांच रिपोर्ट एक तरफा बनी है और सिर्फ अस्पताल पक्ष की बात रखकर उनकी तारीफ की गई है और अस्पताल निर्दोष बताया है. इसलिए हम चाहते हैं कि अस्पताल में भर्ती के दौरान हमारी लड़की का सीसीटीवी फुटेज दिखाया जाए ताकि पता चले कि मेरी बेटी के साथ कैसा बर्ताव था.

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अस्पताल झूठ बोल रहा है- छन्नूलाल मिश्र

उन्होंने कहा कि अस्पताल कहता है कि सीसीटीवी नहीं है तो बताए कि क्योंकि सीसीटीवी नहीं रखा? अस्पताल में सीसीटीवी होना चाहिए. एक दिन बुलाकर सीसीटीवी दिखाया भी गया था  लेकिन बाद में कह रहें हैं कि नहीं है. अस्पताल बहुत झूठ बोल रहा है. अब हम मोदी जी और योगी जी से मिलकर इसपर बात करेंगे कि इन लोगों ने क्या किया है. हम जांच रिपोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है. इसलिए आगे मोदी जी और योगी जी से मिलकर बात करेंगें. सब बात बताएंगे तो पता चलेगा कि आखिर हुआ क्या है? क्योंकि अभी तो सिर्फ अस्पताल के पक्ष में ही सबकुछ हुआ है.

रिपोर्ट समझ से परे- नम्रता मिश्र

वहीं, पंडित छन्नूलाल मिश्र की छोटी बेटी और नम्रता मिश्र ने बताया कि वाराणसी के डीएम, सीएमओ सभी से संपर्क करके सिर्फ यहीं पूछ रहें हैं कि आखिर मेरी दीदी के साथ क्या हुआ? सीसीटीवी के जरिये यह दिखा दीजिए कि वह 6 दिनों तक किस हालत में रही? आखिर अस्पताल वालों ने एक बार भी बात क्यों नहीं कराई और शक्ल तक नहीं देखने दी? कौन-कौन सी दवाइयां चलीं? आखिर यह सबकुछ जानने के लिए हमे 22 दिनों का इंतजार करना पड़ेगा? उन्होंने बताया कि उनकी तरफ से 5 पेज का लिखित बयान गठित पैनल में दिया गया था, लेकिन समझ के परे हैं कि उसमें से किसी भी बात पर पैनल को यकीन नहीं हुआ? जो अस्पताल के डाॅक्टर ने कह दिया वहीं ब्रह्म वाक्य हो गया और मेरे प्रमाण को भी झुठला दिया गया. अस्पातल को निर्दोष करार दे दिया गया.

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उन्होंने आगे कहा कि फिर मेरी दीदी के साथ क्या हुआ ये बताने में 22 दिन कैसे लग गया? यह बिल्कुल भी निष्पक्ष जांच नहीं हुई है. एक पक्ष की बात सुनकर एकतरफा फैसला किया गया है. हम इससे संतुष्ट नहीं है. कल रात में रिपोर्ट मिलते ही हम लोगों की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मेल कर दिया कि इस संदर्भ में मिलकर सारे साक्ष्य के साथ बात करना चाहते हैं. 
 

बता दें कि बीते 29-30 अप्रैल की देर रात पंडित छन्नूलाल मिश्र की बड़ी बेटी संगीता मिश्र की वाराणसी के मैदागिन इलाके में स्थित निजी अस्पताल मेडविन में कोरोना के इलाज के सातवें दिन मौत हो गई थी. उनके परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया था. इसके बाद परिवार वालों की मांग पर जिलाधिकारी ने सीएमओ की अगुवाई में डॉक्टरों का पैनल गठित करके जांच कमेटी बनाई थी.

अस्पताल पहले ही दे चुका है सफाई 
छन्नूलाल मिश्र के आरोप पर अस्पताल पहले ही सफाई पेश कर चुका है. मेडविन हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर मनमोहन श्याम ने अपने अस्पतालों पर लगे सारे आरोपों को निराधार बताया था. उन्होंने कहा, 'पंडित छन्नूलाल मिश्र की बेटी संगीता मिश्र उनके यहां गंभीर हालत में भर्ती हुई थीं. उस दौरान उनका सेचुरेशन और ब्लड प्रेशर भी कम था.

अस्पताल का कहना है कि उनकी बेटी को 3-4 दिनों से उल्टियां भी हुई थीं. अस्पताल में भर्ती एक उच्चाधिकारी की पैरवी पर केस क्रिटिकल होने के बावजूद लिया गया. मरीज कोरोना से ग्रसित पहले से ही थीं. जब संगीता मिश्र यहां भर्ती हुईं उसके 9 दिनों पहले से ही वह कोरोना के लक्षणों से ग्रसित थीं.

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