Twin Towers Demolition: नोएडा के सेक्टर 93 में बने सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर रविवार दोपहर ढाई बजे ढहा दिए गए. टावरों को गिरने में सिर्फ 12 सेकेंड का वक्त लगा. इन्हें गिराने के लिए 3700 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया. वहीं इन टावरों के आसपास बनीं रिहायशी इमारतों में रहने वाले करीब 100 परिवार रात तक अपने घरों में लौट आए.
ट्विन टावर को ध्वस्त किए जाने से पहले एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी के 5,000 से अधिक लोगों को वहां से खाली करा लिया गया था. घर लौटे लोगों का कहना है कि उनके मकान सुरक्षित हैं. वहीं IGL ने ट्विन टावर के पास के इलाकों में गैस की आपूर्ति फिर से शुरू कर दी है. विस्फोट के बाद क्षेत्र से पाइपलाइन के किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है.
घर खरीदारों को SC से मिली बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्विन टावर को गिराने की कार्रवाई से पहले एक मामले में सुनवाई की थी. कुछ होमबॉयर्स ने मांग की है कि उन्होंने नोएडा स्थित 40 मंजिला सुपरटेक ट्विन टावरों में फ्लैटों के लिए भुगतान किया था, उनकी राशि वापस कर दी जाए.
लिहाजा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि खरीदारों का कुल 5.15 करोड़ रुपया लंबित है. कोर्ट ने आदेश दिया कि IPR को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में 30 सितंबर तक 1 करोड़ रुपये जमा करने होंगे, ताकि सुपरटेक होमबॉयर्स को कुछ भुगतान किया जा सके.
वहीं न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) ने सुझाव दिया कि सुपरटेक की अन्य परियोजनाएं डेवलपर को घर खरीदारों को भुगतान करने में मदद कर सकती हैं. साथ ही कहा कि हम सुपरटेक से कह सकते हैं कि अन्य परियोजनाओं को बेचने के बाद खरीदारों को किश्तों में भुगतान किया जाए. इसके साथ ही ये भी देखा जाए कि ऐसी कौन सी संपत्ति हैं, जिन्हें बेचा जा सकता है, ताकि घर खरीदारों को भुगतान किया जा सके.
26 अफसर-कर्मचारी भी दोषी पाए गए
नोएडा विकास प्राधिकरण और बिल्डर की मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर इस बिल्डिंग का निर्माण हुआ था. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डेढ़ दशक इस पुराने इस मामले की जांच कराई. इसके लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त के नेतृत्व में 4 सदस्यों की समिति बनाई गई.
जांच की रिपोर्ट के आधार पर अवैध तरीके से बिल्डिंग के निर्माण के मिलीभगत में शामिल 26 अधिकारियों और कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और उनके आर्किटेक्ट के खिलाफ कार्रवाई की गई. इस मामले में संलिप्त ऐसे 4 अधिकारी, जो अलग-अलग अथॉरिटी में अपनी सेवाएं दे रहे थे. उन्हें निलंबित कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू की गई.