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मुज़फ्फरनगर में हुई हिंसा को सियासी रंग देने की कोशिश

मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा के बाद अब जब जिला में अमन चैन दोबारा से लौट रहा है तो सभी पार्टियों ने इस दंगे को सियासी रंग देना शुरू कर दिया है. अचानक सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुजफ्फरनगर दौरा करते हैं और कुछ जगह जाकर वापस लौट जाते हैं.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा के बाद अब जब जिला में अमन चैन दोबारा से लौट रहा है तो सभी पार्टियों ने इस दंगे को सियासी रंग देना शुरू कर दिया है. अचानक सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुजफ्फरनगर दौरा करते हैं और कुछ जगह जाकर वापस लौट जाते हैं.

इस दौरे के दौरान उन्हें कई जगह लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ता है. उनके जाने के बाद 24 घंटे बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल भी जिले के दौरे पर आते हैं लेकिन ये भी कुछ जगह का दौरा कर वापस निकल जाते हैं. इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया अखिलेश हो या देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दोनों ही सरकारे दंगों में मरने वाले लोगों और पीड़ितों को दिल खोल कर मुआवजा देते हैं पर इस दौरान किसी की भी नजर काकड़ा गांव की ओर नहीं पड़ती. काकड़ा गांव ने इस दंगे के दौरान अपने दो लोग राजबीर और विकास को खोया है. लगभग 50 लोग घायल हुए हैं.

दरअसल 7 सितंबर को नंगला पंचायत से वापस लौट रहे लोगों पर दूसरे समुदाय के लोगों ने घात लगा कर हमला किया था. इस हमले में अलग-अलग गांवों के कई लोग मारे गए थे और बहुत से लोग घायल हुए थे. काकड़ा गांव भी इन्ही गांव में से एक है.

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सीएम और पीएम दोनों के दौरे इस ही गांव से होकर पूरे हुए हैं लेकिन प्रशासन ने इन्हें ना तो मुख्‍यमंत्री और ना ही प्रधानमंत्री से मिलने दिया और ना ही शायद इन राजनेताओं की नजर इस गांव के लोगों की तरफ पड़ी. यूपी सरकार हो या केंद्र सरकार अब इस गांव के लोगों का किसी पर भी विश्वास नहीं रहा है. सरकार तो सरकार अब इन लोगों के अपने नेता अजित सिंह को भी इस गांव के लोग ठुकरा रहे हैं.

आपको बता दें कि काकड़ा गांव जाटों के गांव के नाम से जाना जाता है और आज इस गांव की नाराज जनता ने एक पंचायत बुलाई और उन पर हो रहे अत्याचारों के बारे में विचार-विमर्श किया गया. इन हालातों में अब इस गांव के लोगों का पार्टी की तरफ झुकाव होता. ये अभी देखना बाकी है. लेकिन एक बात अब सामने आने लगी है कि मुजफ्फरनगर में हुए दंगों पर अब राजनीति की शुरुआत हो चुकी है.

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