
कोरोना की इस महालड़ाई के बीच जहां तमाम सरकारी बड़े इंतजाम फेल होते जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में रहने वाले चंद सौ परिवारों ने एक नई शुरुआत की है. 'साथ रहें तो हरा देंगे कोरोना' इसी मन्त्र के साथ लखनऊ में रहने वाले लोगों ने इसकी शुरुआत की है. सोसाइटी में ही मिनी मेडिकल हॉस्पिटल खोल दिया गया है. पड़ोस में रहने वाले डॉक्टर साहब मरीजों को दवा लिख रहे हैं. इमरजेंसी में ऑक्सीजन सिलेंडर का भी इंतजाम है, व्हीलचेयर का भी इंतजाम है और स्ट्रेचर भी रख लिया गया है. इन तमाम इंतजामों का ही नतीजा है कि सोसाइटी में संक्रमित तो कई लोग हुए लेकिन किसी को अस्पताल तक जाने की जरूरत नहीं पड़ी.
कोरोना के संकट में आज जब सरकारी व्यवस्था दुर्व्यवस्था में तब्दील हो गई, लोगों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा, ऑक्सीजन की किल्लत में कई मरीज बिना इलाज के ही दम तोड़ रहे हैं, ऐसे में लखनऊ के गोमती नगर विस्तार की एक निजी सोसाइटी में रहने वाले करीब 450 परिवारों ने अपने कैम्पस में मेडिकल रूम बनाया है.
दरअसल सोसाइटी में रहने वाले अंशु मिश्रा का पूरा परिवार कोविड पॉजिटिव हुआ था तो कोई उनकी मदद करने वाला नहीं था. समझ नहीं आ रहा था कि हालत बिगड़ी तो कौन अस्पताल ले जाएगा? ऑक्सीजन कैसे मिलेगी? बच्चों को दवा कैसे आएगी? बस इसी जरूरत को देखते हुए MI RUSTLE कोर्ट में रहने वाले करीब 450 परिवारों को जोड़कर MI Happiness and Help (1 Team 1Dream) एक ग्रुप बनाया गया.
ग्रुप की शुरुआत हुई तो पता चला सोसाइटी में ही 4 डॉक्टर भी रहते हैं. बस फिर क्या था सोसाइटी में रहने वाले परिवारों को कोरोना से बचाने के लिए उनके इलाज की शुरुआत हो गई. सोसाइटी के गेट पर ही मेडिकल रूम बना लिया गया. जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर ऑक्सीमीटर व्हीलचेयर स्ट्रेचर तक की व्यवस्था कर ली गई ताकि इमरजेंसी में इलाज दिया जा सके. इस तरह पूरी सोसाइटी कोरोना से निपटने को तैयार हो गई. आज अंशु का पूरा परिवार कोरोना को हरा चुका है.

गेट पर आने वाले हर व्यक्ति से कोविड प्रोटोकाल का पालन करवाया जाता है. मेडिकल रूम में व्हील चेयर, स्ट्रेचर, ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ सोसाइटी में रहने वाले 4 डॉक्टरों ने बारी बारी से ड्यूटी लगा ली. ताकी किसी भी वक्त उनके पड़ोस में रहने वाले बीमार की मदद की जा सके. इस मेडिकल रूम का असर यह हुआ कि सोसाइटी में करीब 75 लोगों को कोरोना का संक्रमण तो हुआ लेकिन किसी को हॉस्पिटल जाने की जरूरत नहीं हुई.
अब इस सोसाइटी में कोरोना संक्रमितों को इलाज के लिए 7 डॉक्टर चिकित्सीय सलाह दे रहे हैं. टीम द्वारा घर पर दवा पंहुचाने की व्यवस्था की जाती है. अकेले रहने वाले बड़े-बुजुर्गों के लिए भी सारें इंतजाम किए गए हैं. सोसाइटी के सभी कर्मचारियों को आइवरमेक्टिन की दवा और 2500 फेस मास्क दिये गए हैं. इमेरजेंसी में जिला प्रशासन की मदद से अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था की गई है. कोविड संक्रमित लोगों और उनके परिजनों को घर जैसा शुद्ध सात्विक खाना घर के दरवाजे तक दिलवाया जा रहा है.

चंद 100 लोगों की इस नई पहल ने वो रास्ता दिखाया है जो आज के शहरी जीवन में प्लॉट और कॉलोनी कल्चर के बीच बहुत कारगर हो सकता है. बस जरूरत है सबके साथ आने की एक दूसरे का सहारा बनने की, तभी कोरोना की इस जंग में हम सब जीत सकते हैं.