भारतीय संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के लगातार बढ़ रहे घाटे और खस्ता हालत को लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को बीजेपी पर हमला बोला. कांग्रेस ने सवाल उठाया कि सार्वजनिक क्षेत्र की जो कंपनियां यूपीए शासन में मुनाफे में थीं, वह एनडीए शासन में खस्ता हालत में क्यों हैं.
पार्टी नेता पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस के वक्त 7,838 करोड़ रुपये का मुनाफा एमटीएनएल ने कमाया था. मनमोहन सिंह सरकार ने उसे मुनाफा कमाने वाली कंपनी बनाया था. उन्होंने कहा, सिर्फ 2019 में एमटीएनएल का घाटा 3,390 करोड़ है. पिछले पांच साल में 11,228 करोड़ का कंपनी का घाटा हुआ.
खेड़ा ने कहा, बीएसएनएल की हालत भी कुछ ऐसी ही है. साल 2019 में उसकी बैलेंसशीट 16 प्रतिशत तक लुढ़क गई. उन्होंने कहा कि एमटीएनएल के 45 हजार कर्मचारी हैं, जिनकी तनख्वाह सरकार नहीं दे पा रही है. आखिर वह क्या कारण है कि जो कंपनी यूपीए के वक्त मुनाफा कमा रही थी वह पिछले 5 साल में घाटे में चली गई.
उन्होंने कहा कि प्राइवेट कंपनियां 5जी तक पहुंच चुकी हैं और सरकार इन दो कंपनियों को 3जी से आगे बढ़ने ही नहीं दे रही. इन दोनों कंपनियों के हाथ सरकार ने क्यों बांध रखे हैं. कांग्रेस ने मोदी सरकार से कहा कि वह इन कंपनियों को आगे बढ़ने का मौका दे और अगर रीकैपिटलाइजेशन करने की जरूरत पड़े तो वह भी करे.
कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में खेड़ा ने कहा कि क्या केंद्र सरकार इन कंपनियों से कोई बदला ले रही है. क्यों इन्हें जान-बूझकर कमजोर किया जा रहा है. खेड़ा ने कहा, 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी बीएसएनएल में काम करते हैं और 45 हजार एमटीएनएल में. यही हाल रहा तो इन कर्मचारियों के परिवार सड़क पर आ जाएंगे.
गौरतलब है कि पूर्व दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने पिछले साल दिसंबर में संसद को बताया था कि बीएसएनएल का सालाना घाटा वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 7,992 करोड़ रुपये हो गया. इससे पहले 2016-17 में कंपनी का घाटा 4,786 करोड़ रुपये रहा था.