आज सर्जिकल स्ट्राइक के 2 साल पूरे हो गए. 2016 में उरी में आतंकी हमले के 10 दिन के अंदर ही भारत ने इसका बदला ले लिया. भारतीय सेना योजनाबद्द तरीके से 28-29 सितंबर की आधी रात पाकिस्तान की सीमा में 3 किलोमीटर के अंदर घुसी और आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर डाला.
28 सितंबर की आधी रात घड़ी में 12 बज रहे थे. एमआई 17 हेलिकॉप्टरों के जरिए 150 कमांडोज को एलओसी के पास उतारा गया. पुंछ से एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर ध्रुव पर 4 और 9 पैरा के 25 कमांडो सवार होकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में दाखिल हुए.
नियंत्रण रेखा के पार हेलिकॉप्टर ने इन जवानों को एक सुनसान जगह उतार दिया. घोर अंधेरा और अनजान जगह होने के कारण सैनिकों पर चारों ओर से खतरा बना हुआ था. लेकिन कमांडोज आगे बढ़े और पाकिस्तानी सेना की ओर फायरिंग की आशंका के बीच करीब 3 किलोमीटर का फासला रेंग कर तय किया.
पाक सेना को पता नहीं चला
देश में तबाही मचाने के लिए आतंकियों के कई लॉन्च पैड्स भिंबर, केल, तत्तापानी और लीपा इलाकों में स्थित थे. कमांडोज इतनी खामोशी से इन इलाकों में पहुंचे कि पाकिस्तानी सेना को भारत के इस कदम का कोई आभास नहीं हुआ.
हमले से पहले आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर खुफिया एजेंसियां हफ्तेभर से नजर बनाए हुए थीं. रॉ और मिलिट्री इंटेलिजेंस पूरी मुस्तैदी से आतंकवादियों की एक-एक हरकत पर नजर रखे हुए थी. सेना ने हमला करने के लिए कुल 6 कैंपों का लक्ष्य रखा था.
हमले के दौरान इनमें से 3 कैंपों को पूरी तरह तबाह कर दिया. कमांडोज तवोर और एम-4 जैसी राइफलों, ग्रेनेड्स, स्मोक ग्रेनेड्स से लैस थे. साथ ही उनके पास अंडर बैरल ग्रेनेड लॉंचर, रात में देखने के लिए नाइट विजन डिवाइसेज और हेलमेट माउंटेड कैमरा भी थे.
38 आतंकी मार गिराए
कमांडोज ने कोई मौका गंवाए बगैर पलक झपकते ही आतंकियों पर ग्रेनेड से हमला किया. अफरा-तफरी फैलते ही स्मोक ग्रेनेड के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग की. देखते ही देखते 38 आतंकवादी ढेर कर दिए गए. साथ ही हमले में पाकिस्तानी सेना के 2 जवान भी मारे गए.
इस ऑपरेशन में हमारे 2 पैरा कमांडोज भी लैंड माइंस की चपेट में आने के कारण घायल हुए.
रात साढ़े 12 बजे शुरू हुए इस ऑपरेशन को साढ़े 4 बजे तक खत्म कर लिया गया. दिल्ली में इस ऑपरेशन की तैयारी सेना मुख्यालय में रात 8 बजे से ही हो गई थी.
डिनर के बहाने ऑपरेशन पर नजर
राजधानी दिल्ली में शाम को कोस्टगार्ड कमांडर कॉफ्रेंस का डिनर रखा गया था, जिसमें तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजित डोभाल और तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को जाना था.
डिनर में जाने की बजाय यह तीनों रात 8 बजे सीधे सेना मुख्यालय में मौजूद वॉर रूम में पहुंच गए. तब सेना प्रमुख दलबीर सुहाग ने इस ऑपरेशन की तारीफ करते हुए कहा था कि सेना ने अपने वादे का पालन किया और चुनी हुई जगह और समय पर इसका जवाब दिया.
सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान रात में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ऑपरेशन की निगरानी करते रहे. इस दौरान ऑपरेशन की जानकारी लगातार प्रधानमंत्री मोदी को भी दी जा रही थी. अजित डोभाल ने रात ही में अपनी अमेरिकी समकक्ष सूसन राइस से भी बातचीत कर उनको भरोसे में लिया.
18 सितंबर 2016: उरी कैंप पर आतंकी हमला
सर्जिकल स्ट्राइक की योजना पाक की ओर से बार-बार किए जा रहे हमलों से त्रस्त होकर भारत ने तैयार की. 18 सितंबर को जैश-ए-मोहम्मद फिदाइन दस्ते ने भारतीय सेना की 12 ब्रिगेड के प्रशासनिक स्टेशन पर हमला कर दिया. हमले में 19 जवान शहीद हो गए.
मौके पर मारे गए आतंकियों से जब्त जीपीएस सेट्स से हमलावरों के पाकिस्तान से जुड़ाव का पता चला. उरी आतंकी हमले के बाद पकड़े गए 2 स्थानीय गाइड्स ने खुलासा किया कि पाक सेना ने हमलावरों को घुसपैठ में मदद की.
आतंकी हमले के 3 दिन बाद भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर ने पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित को समन कर बुलाया. साथ ही उन्हें उरी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता के सबूत सौंपे गए. हालांकि इस्लामाबाद की ओर से इन सबूतों को खारिज कर दिया गया.
इसके एक दिन बाद 22 सितंबर को तत्कालीन पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक् राष्ट्र महासभा में भड़काऊ भाषण में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी को हीरो के तौर पर पेश किया.