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पुरस्कार लौटाना सम्मान का अनादर करने जैसा: थरूर

पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कई लेखकों द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के मामले में कहा कि भले ही लेखकों को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में खड़े होने का पूरा अधिकार है, लेकिन पुरस्कार को लौटाना दिए गए सम्मान का ‘अनादर’ करने जैसा है.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर

पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कई लेखकों द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के मामले में कहा कि भले ही लेखकों को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में खड़े होने का पूरा अधिकार है, लेकिन पुरस्कार को लौटाना दिए गए सम्मान का ‘अनादर’ करने जैसा है.

थरूर ने एक समारोह से इतर कहा, 'व्यक्तिगत रूप से मुझे इस तथ्य पर अफसोस हो रहा है कि लेखकों के एक धड़े ने अकादमी पुरस्कार लौटाए हैं. पुरस्कार तो बुद्धिमतता, साहित्यिक, सृजनात्मक और अकादमिक गुणों की पहचान हैं.’ उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी वास्तव में एक स्वतंत्र संस्था है और हमारी जो चिंताएं हैं, वह राजनीतिक हैं. मुझे लगता है कि लेखकों में इन दोनों को लेकर भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, 'व्यक्ति को वर्तमान वातावरण का विरोध करना चाहिए. व्यक्ति को स्वतंत्रता के लिए खड़ा होना चाहिए, लेकिन किसी को सम्मान का अनादर नहीं करना चाहिए.’ खुद एक जानेमाने लेखक और स्तंभकार, थरूर ने कहा कि पुरस्कार लेखकों की उपलब्धियों के प्रति समाज की ओर से दिया गया सम्मान है और उपलब्धियों या सम्मान को लौटाया नहीं जा सकता. साथ ही उन्होंने कहा कि वह इस बात से बहुत खुश हैं कि कई लेखक अपनी आवाज के लिए ऐसे वक्त में खड़े हुए हैं, जब अन्य लोग चुप्पी पसंद कर रहे हैं.

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इनपुट- भाषा

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