scorecardresearch
 

वीडियो गेम खरीदने से पहले कंटेंट पर ध्यान दें माता-पिता

वीडियो गेम बच्चों के बीच आज बेहद लोकप्रिय हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वीडियो गेम खरीदते समय माता पिता को उसमें दिए गए गेम और उम्र की सीमा को ध्यान में जरूर रखना चाहिए.

Advertisement
X

वीडियो गेम बच्चों के बीच आज बेहद लोकप्रिय हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वीडियो गेम खरीदते समय माता पिता को उसमें दिए गए गेम और उम्र की सीमा को ध्यान में जरूर रखना चाहिए.

विशेषज्ञों का साथ ही यह भी कहना है कि हिंसक वीडियो गेम के कारण बच्चों के दिलो दिमाग पर पड़ने वाले बुरे असर को टाला जा सकता है, बशर्ते माता पिता बच्चों को यह समझाएं कि वीडियो गेम हकीकत नहीं बल्कि काल्पनिकता है और यह केवल मनोरंजन का साधन है.

दिल्ली के कनाट प्लेस स्थित पालिका बाजार में वीडियो गेम दुकान के मालिक रजनीश ने बताया कि माता पिता को गेम्स की जानकारी नहीं होती इसलिए वे केवल बच्चों की पसंद पर निर्भर रहते हैं लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए.

उनका कहना है कि वीडियो गेम खरीदते समय माता पिता को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उसका कंटेंट क्या है और वह किस उम्र वर्ग के बच्चों के लिए है.

Advertisement

सर गंगाराम अस्पताल के बाल मनोरोग चिकित्सक दीपक गुप्ता ने बताया कि माता पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जब भी बच्चे टेलीविजन देखें या वीडियो गेम खेलें तो घर का कोई बड़ा सदस्य उनके साथ रहे क्योंकि बच्चों को वीडियो गेम की विषय वस्तु की असलियत से वाकिफ कराया जाना बेहद जरूरी है अन्यथा बच्चे एक आभासी दुनिया में विचरना शुरू कर देते हैं.

इस बात को इस तरह से समझा जा सकता है कि एक बच्चे ने स्पाइडरमैन का वीडियो गेम खेलने के बाद अपनी मम्मी से बेहद भोले अंदाज में सवाल किया कि उसे मकड़ी कब काटेगी ताकि वह भी स्पाइडमैन बन सके.

रजनीश ने साथ ही बताया कि माता पिता को वीडियो गेम खरीदने से पहले संबंधित गेम की रेटिंग का पता लगाना चाहिए कि वह किस श्रेणी का है क्योंकि आजकल ऐसे वीडियो गेम बाजार में उपलब्ध हैं जिनमें भारी हिंसा के साथ ही सेक्स भी भरपूर है. इसलिए बच्चे की उम्र को ध्यान में रखने के साथ ही रेटिंग पर अवश्य गौर करना चाहिए.

डा. गुप्ता कहते हैं कि यह बात इस बात का प्रमाण है कि बच्चे हद से अधिक मासूम होते हैं और उनके लिए नजरों के सामने आने वाली हर चीज एक सचाई होती है. लेकिन वह साथ ही कहते हैं कि हिंसक वीडियो गेम से जरूरी नहीं कि बच्चों में हिंसक प्रवृति पैदा हो .

Advertisement

डा. दीपक गुप्ता की ही बात का समर्थन करमामा लामा थिन्ले दोरजी की बातों में नजर आता है. तिब्बती बौद्ध धर्म गुरू त्रिन्ले दोरजी ने कुछ समय पहले एक अंग्रेजी दैनिक को दिए साक्षात्कार में कहा था कि वह भी हिंसक वीडियो गेम खेलते हैं.

उन्होंने कहा था, ‘‘यदि मेरे भीतर या मन में कहीं कोई नकारात्मक भावना है तो वीडियो गेम एक ऐसा मार्ग है जिसमें खेल के भ्रम में वह नकारात्मक या हिंसक विचार की उर्जा को बाहर निकाल देते हैं. वीडियो गेम खेलने के बाद मैं अच्छा महसूस करता हूं.’’

दोरजी ने कहा, ‘‘वीडियो गेम में हिंसक गेम खेलना एक कौशल है जिसमें मैं अगर सामने वाले को मार रहा हूं तो यह वास्तव में मैं किसी को हानि नहीं पहुंचा रहा हूं.’’ वीडियो गेम आंखों पर जरूर नकारात्मक असर डालते हैं. नेत्र चिकित्सकों की राय मानें तो पोकीमोन जैसे कई वीडियो गेम में अचानक से फ्लैश लाइट लगती है जो बच्चों की आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए हर आधे घंटे बाद बच्चों को वीडियो गेम बंद करने के लिए समझाया जाना चाहिए.

Advertisement
Advertisement