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बड़ी शक्ति छिपी है एक ‘छोटी सी मुस्कान’ में

किसी अजनबी को अपना बनाना हो, किसी रूठे को मनाना हो या फिर किसी को पहली ही मुलाकात में प्रभावित करना हो, एक गुण इन सभी स्थितियों में किसी जादू से कम नहीं है, और यह गुण है चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान रखने का.

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किसी अजनबी को अपना बनाना हो, किसी रूठे को मनाना हो या फिर किसी को पहली ही मुलाकात में प्रभावित करना हो, एक गुण इन सभी स्थितियों में किसी जादू से कम नहीं है, और यह गुण है चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान रखने का.

जाने-माने आध्यात्मिक गुरू और ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के प्रणेता श्री श्री रविशंकर भी जीने की कला में मुस्कान की अहम भूमिका बताते हैं. श्री श्री ने एक साक्षात्कार में भी इस बात पर जोर दिया था कि अगर आप अपने जीवन में सफलता चाहते हैं तो अपने चेहरे पर मुस्कान रखिए, इस मुस्कान के चलते आपकी आधी समस्या दूर हो जाएगी.

पर्सनैलिटी डेवलपमेंट प्रशिक्षक कुमार सौरभ इस बात पर जोर देते हैं कि साक्षात्कार के समय या प्रतिकूल परिस्थितियों में भी चेहरे की मुस्कान सकारात्मक व्यवहार को प्रदर्शित करती है और इसका सामने वाले पर अच्छा असर पड़ता है. कुमार ने कहा ‘अगर आप घबरा रहे हैं और चेहरे पर मुस्कान की जगह हवाइयां उड़ी हुईं हैं तो निश्चित तौर पर मानिए कि आप अपने हाथ में आया मौका गंवा रहे हैं.

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साक्षात्कार के समय साक्षात्कार लेने वाले, प्रतियोगी का मनोविज्ञान समझने की कोशिश करते हैं और इसमें आपके चेहरे पर हल्की मुस्कान जादू सा असर करती है.’ दूसरी ओर मनोवैज्ञानिक डॉ. विनय मिश्रा कहते हैं कि मुस्कान अपनेपन के प्रदर्शन का प्रतीक है. डॉ. मिश्रा इस बात पर भी जोर देते हैं कि अगर आपका पेशा दूसरों की समस्याएं सुलझाने या जनसंपर्क से जुड़ा है, तो समझिए कि आपके चेहरे पर खिली मुस्कान से ही आपके आधे काम बन जाने वाले हैं.

उन्होंने कहा ‘आप किसी चिकित्सक के पास जाते हैं और अगर वह आपसे मुस्कुरा कर आपकी परेशानी के बारे में पूछता है, तो आप खुल कर उसे अपने बारे में बताते हैं. इसके बाद मनोवैज्ञानिक तौर पर ही सही, लेकिन आपकी आधी बीमारी दूर हो जाती है, इसलिए मैं अक्सर ऐसे पेशे वालों को खुद भी मुस्कुराने और दूसरों की जिंदगी में भी मुस्कान बिखरने की सलाह देता हूं.’

मुस्कुराने और खुल कर हंसने के संबंध में कई शोध भी हुए हैं. ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने वर्ष 1999 में अपने शोध में कहा था कि जो लोग ज्यादा मुस्कुराते या खुल कर हंसते हैं, उनका सामाजिक दायरा बहुत विस्तृत होता है और उनके मित्रों की संख्या भी ज्यादा होती है, जबकि जिन लोगों में यह प्रवृत्ति कम होती है, वे अपेक्षाकृत अंतर्मुखी और अपने दायरे में सीमित रहने वाले होते हैं.

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