scorecardresearch
 

ऑक्सफोर्ड ने 'नारी शक्ति' को चुना साल 2018 का हिन्दी 'वर्ड ऑफ द ईयर'

देश में महिलाओं के अधिकार और हर क्षेत्र में उनके प्रतिनिधित्व के आधार पर नारी शक्ति को शब्दकोश में शामिल करने का फैसला लिया गया है. जिस वक्त जयपुर में नारी शक्ति शब्द को डिक्शनरी में शामिल किए जाने का ऐलान हो रहा था ठीक उसी समय दिल्ली के राजपथ पर इस नारी शक्ति का प्रदर्शन भी अपने चरम पर था.

Advertisement
X
परेड में शामिल महिलाएं
परेड में शामिल महिलाएं

भारत की नारी शक्ति को अब वैश्विक पहचान मिली है. ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने शनिवार को ‘नारी शक्ति’ को साल 2018 का हिन्दी शब्द चुना है. जयपुर में चल रहे साहित्योत्सव (JLF) में इसका ऐलान किया गया. ऑक्सफोर्ड डिक्शनरीज के अनुसार यह शब्द संस्कृत से लिया गया है और इन दिनों अपने हिसाब से जीवन जी रहीं महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इससे पहले ऑक्सफोर्ड ने साल 2017 में ‘आधार’ को अपना हिन्दी शब्द चुना था. ऑक्सफोर्ड ने यह पहल 2017 से ही शुरू की थी.

बता दें कि देश में महिलाओं के अधिकार और हर क्षेत्र में उनके प्रतिनिधित्व के आधार पर इस शब्द को शब्दकोश में शामिल करने का फैसला लिया गया है. जिस वक्त जयपुर में नारी शक्ति शब्द को डिक्शनरी में शामिल किए जाने का ऐलान हो रहा था ठीक उसी समय दिल्ली के राजपथ पर इस नारी शक्ति का प्रदर्शन भी अपने चरम पर था. गणतंत्र दिवस की परेड में तीनों सेनाओं में शामिल वीरांगनाओं ने पुरुषों के कंधे से कंधे मिलाकर शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन किया.

Advertisement

राजपथ पर दिखी झलक

इस परेड में पहली बार किसी पुरुष टुकड़ी की अगुवाई एक महिला ने की थी. साथ ही बीते साल नेवी की 6 महिला नाविकों ने पहली बार एक नाव पर सवार होकर समंदर के रास्ते दुनिया की सैर की थी. नेवी की सभी अधिकारी आईएनएसवी तारिनी पर 'नाविका सागर परिक्रमा' पर निकली थीं. बीते साल ही एयर फोर्स की महिला पायलट अवनि को अकेले फाइटर जेट उड़ाने का गौरव भी हासिल हुआ था. वह यह कारनामा करने वाली देश की पहली महिला पायलट हैं.

ऑक्सफोर्ड के मुताबिक देश में महिला सशक्तिकरण के लिए की गई सरकार की कोशिशें और मीटू जैसे आंदोलन की बदौलत इस शब्द को डिक्शनरी में जगह मिल पाई है. ऑक्सफोर्ड की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत में बीते साल महिला अधिकारों को लेकर जमकर बहस हुई साथ ही नारी शक्ति शब्द पर मार्च 2018 में सबसे अधिक जोर दिया गया था. तब केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर नारी शक्ति पुरस्कार का ऐलान किया था.

शब्द को शामिल करने के पीछे तीन तलाक को अवैध ठहराने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी एक वजह माना जा रहा है. दूसरी ओर केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री के लिए सामाजिक लड़ाई अब भी जारी है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में एंट्री की इजाजत दे दी है. देश में साल 2018 के दौरान ही 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के मामले में फांसी का प्रावधान किया गया. इसके लिए संसद ने आपराधिक कानून में संशोधन किया है. इसके अलावा केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद से 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' के नारे ने भी जोर पकड़ लिया है.

Advertisement
Advertisement