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टीपू जयंती: कर्नाटक के एक और बीजेपी विधायक ने की केस वापस लेने की मांग

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के फैसले का कांग्रेस विरोध कर रही है, तो बीजेपी के विधायक अपने कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. बीजेपी के एक और विधायक केजी बोपैया ने सीएम येदियुरप्पा को चिट्ठी लिखकर कोमुर्ग के बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेने की मांग की.

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बीजेपी विधायक केजी बोपैया
बीजेपी विधायक केजी बोपैया

कर्नाटक में टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर सियासी जंग जारी है. मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के फैसले का कांग्रेस विरोध कर रही है, तो बीजेपी के विधायक अपने कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. बीजेपी के एक और विधायक केजी बोपैया ने सीएम येदियुरप्पा को चिट्ठी लिखकर कोमुर्ग के बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेने की मांग की. इन कार्यकर्ताओं पर जेडीएस-कांग्रेस सरकार में टीपू जयंती का विरोध करने पर मुकदमा दर्ज किया गया था.

कांग्रेस नेता दिनेश गुंडू राव ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि मैं आरोपों को खंडित करता हूं. सीएम को इस प्रकार की मांग स्वीकार नहीं करनी चाहिए. इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. मीडिया ने बताया कि हिंदू समुदाय के लोगों के खिलाफ लगे केस हटाने की मांग हो रही है. केवल एक ही समुदाय से क्यों? अगर निर्दोष लोगों पर केस दर्ज हुए हैं, तो इस मामले की जांच होना चाहिए.

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कर्नाटक में सत्ता की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक सरकार के कन्नड़ और संस्कृति विभाग को टीपू सुल्तान जयंती न मनाने का आदेश दिया था. यह फैसला सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक के दौरान लिया गया था.

बीजेपी विधायक बोपैया ने मुख्यमंत्री बीएस. येदियुरप्पा को चिट्ठी लिख कर राज्य में टीपू जयंती के जश्न पर रोक लगाने की मांग की थी. इससे पहले कर्नाटक में जब कांग्रेस-जेडीएस की सरकार थी तो ये समारोह काफी धूमधाम से मनाया जाता था.

 कर्नाटक में मैसूर के पूर्व शासक टीपू सुल्तान की 269वीं जयंती मनाई गई थी. इस कार्यक्रम में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री कुमारस्वामी नजर नहीं आए थे. बीजेपी ने टीपू सुल्तान जयंती का कड़ा विरोध किया था.

बता दें कि राज्य में टीपू जयंती का मुद्दा पहले से गरम रहा है और बीजेपी अक्सर इसका विरोध करती रही है. 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की जयंती हर साल 10 नवंबर को मनाई जाती है लेकिन अब जब राज्य में बीजेपी की सरकार आ गई है तो इस पर रोक का निर्णय लिया गया है.

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