केंद्र सरकार ने केंद्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) और सूचना आयुक्त (IC) से संबंधित नए नियमों को अधिसूचित किया है. नए नियमों के तहत इनके कार्यकाल की अवधि को कम किया गया है.
नए नियमों के मुताबिक इनके ऑफिस टर्म को 5 साल से घटाकर 3 साल तक कर दिया है. इसके साथ ही सीआईसी को भारत सरकार के सचिव के स्तर तक डाउनग्रेड कर दिया है.
सिविल सोसाइटी की चिंताओं के बीच केंद्र सरकार सूचना का अधिकार (संशोधन) कानून-2019 को लागू करने की अधिसूचना जारी कर चुकी है. जारी अधिसूचना में कार्मिक मंत्रालय ने कहा है, 'केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार (संशोधन) कानून-2019 के प्रावधानों को प्रभाव में लाने की तिथि 24 अक्टूबर 2019 तय कर दी है.'
बता दें कि इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों में जुलाई में पारित किया गया था, जबकि अगस्त में राष्ट्रपति ने इसे अनुमोदित कर दिया था.
संशोधित कानून के तहत सरकार मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) और सूचना आयुक्तों (आईसी) के कार्यकाल से लेकर वेतन तक का निर्धारण कर सकती है. आरटीआइ कानून-2005 में सीआईसी औ आईसी का कार्यकाल पांच साल या 65 वर्ष तक निर्धारित था, जबकि उनका वेतन चुनाव आयुक्तों के समान होता था.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन लोकुर ने हाल ही में कहा था कि आरटीआई कानून में बदलाव नुकसानदेह हो सकते हैं. उन्होंने कहा था, 'जब वेतन व कार्यकाल साफ नहीं होगा तो कोई सूचना आयोग में योगदान क्यों देना चाहेगा?'
कानून में संशोधन का विरोध
वहीं सरकार के इस कदम का सामाजिक कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं. उन्होंने इसे समिति की स्वतंत्रता पर आघात बताया है. तब कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि यह कदम जल्दबाजी में तैयार किए गए आरटीआई कानून-2005 को सशक्त बनाने के लिए उठाया गया है, क्योंकि पहले इसमें कई कमियां रह गई थीं.
(PTI के इनपुट के साथ)